गरियाबंद के ये 6 युवा श्रद्धालु निकले जोश खरोस के साथ बाबा केदारनाथ की यात्रा पर, आख़िर वर्षों से देखे सपने को सकार करते दिख रहे है ये युवा, कब ये कोरोना का मनहूस साया ख़त्म होगा और कब हम बाबा के दर्शन कर पाएँगे आख़िरकार वो समय आ ही गया जब गरियाबंद के ये 6 युवा अपना सपना पूरा करने उतराखंड के लिए कुच कर गए,अनुराग केला सूरज सिन्हा क्षितिज गुप्ता दीपक सिन्हा सिनु ठाकुर साबु गुप्ता इन सबने बड़े तैयारी के साथ केदारनाथ की यात्रा प्रारंभ की और सकुशल दर्शन करने के बाद उन्होंने यात्रा वृतांत सुनाया ,
उल्लेखनीय है कि, देश के प्रमुख धामों में से बद्रीनाथ धाम के साथ ही केदारनाथ का नाम भी जुड़ा हुआ है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ ही एकमात्र जागृत महादेव माना जाता है।
हिमालय की चोटियों के बीच स्थित भोलेनाथ के इस पावन धाम का सनातन संस्कृति में बहुत महत्व है, और यह मंदिर जागृत महादेव भी कहलाता है। केदारनाथ समुद्र तल से 3,553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां पर पहुंचने का रास्ता भी काफी दुर्गम है।
कपाट खुलते ही केदारनाथ में बना रिकॉर्ड, जानिए इस बार केदारपुरी में भक्तों के लिए क्या है खास
श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज प्रात: 5 बजकर 35 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गये है। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे। कपाट खुलने की प्रक्रिया प्रात:चार बजे से शुरू हो गयी थी दक्षिण द्वार पर केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग, केदारनाथ के पुजारी केदार लिंग वेदपाठियों ने कपाट खुलने की रस्मों को विधि-विधान से निभाया।
केदारनाथ के कपाट खुलते ही पहले ही दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड टूट गया है। पहले ही दिन केदारनाथ 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं। दावा किया जा रहा है कि इससे पहले 2019 में 9 हजार भक्तों ने दर्शन किए थे। केदारपुरी में भक्तों की आस्था पहले से ही ज्यादा बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं के लिए बाबा के दर्शन के साथ ही ध्यान गुफा, शंकराचार्य की समाधि स्थल भी काफी लोकप्रिय होती जा रही है।
युवाओं ने बतलाया की
हर तरफ भोले के जयकारे,पांव रखने भी जगह नजर नहीं आई दो साल तक कोविड के प्रतिबंध के कारण बाबा केदार के दर्शन करने से दूर रहे भक्तों को इस बार पूरा मौका मिल रहा है। जिस वजह से पहले ही दिन भक्तों के जय भोले से पूरी केदारपूरी गूंज उठी है। जिस तरह की उम्मीद लगाई जा रही थी, उसी अनुरूप भक्तों की संख्या धामों में पहुंच रही है। 3 मई से गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा का आगाज हो गया। लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह 6 मई को बाबा केदारनाथ के दर्शन को देखने को मिली। जहां पहले ही दिन 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने का दावा किया जा रहा है। जो कि एक रिकॉर्ड है। केदारनाथ धाम में फिलहाल 12 हजार की एक दिन में लिमिट करने की बात की जा रही है, हालांकि धाम में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं की ही व्यवस्था एक दिन में हो सकती है। ऐसे में 2 गुना भक्त पहुँच गए जिसके चलते बद्री-केदार मंदिर समिति को अपनी व्यवस्थाएं में जुट गए। जिससे आने वाले समय में धाम में यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
केदारनाथ की धार्मिक मान्यता
केदारनाथ की धार्मिक मान्यता
केदारनाथ मन्दिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। जो कि बारह ज्योतिर्लिंग और पंच केदार में से भी एक है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। वे लोग उन्हें खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे केदार में जा बसे। पांडव भी उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए। भगवान शंकर ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले।भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर शंकर रूपी बैल पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में केदारनाथ में पूजे जाते हैं।