भोपाल- बच्चों के अंदर चंचलता और उत्सुकता दोनों ही देखी जा सकती है। किसी भी बच्चे को आप यदि प्यार और दुलार देंगे तो निश्चित तौर पर आपका चेहरा वो कभी नहीं भूलेगा। ऐसा ही कुछ हुआ निशातपुरा के सूरज के साथ ।जिसे उसकी बुआ इतना प्यार करती थी कि वो दिन रात अपनी बुआ को ही याद किया करता था। लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ तब से न तो बुआ सूरज से मिलने आई और ना ही सूरज के यहां से कोई भी परिजन उसे लेकर बुआ के पास गया । बुआ का घर सूरज के घर से काफी दूर यानी गुना में था । यानी एक जिले से दूसरे जिले तक का सफर तय करने में और कारण बताकर पास लेने में सूरज के परिवार वालों को शायद पसीना छूट जाता । इसलिए जैसेतैसे सूरज को उसके माता-पिता ने 4 महीने रोक लिया । इन चार महीनों में ना तो बुआ आई और ना ही बुआ की कोई खबर।
इंतजार आखिर कब तक
अब पानी सिर से ऊपर गुजर चुका था। सूरज का जिद भी आसमान में था। कि अब तो कोई बुआ से मिला दो। लिहाजा माता पिता रोजाना सूरज को बुआ से मिलाने का आश्वासन देते । लेकिन सूरज को लग चुका था कि दाल में कुछ काला है और बुआ से उसे मिलाने वाला कोई नहीं है।
13 साल के बच्चे का प्लान
बस फिर क्या था बुआ से मिलने का प्लान हो गया तैयार । 13 साल की उम्र में एक जिज्ञासु बच्चा क्या कुछ कर सकता है ये आपको आगे पता लगने वाला है। ये बच्चा जिसकी उम्र 13 साल की थी । उसे ये मालूम हो गया कि सरकार ने रेल सेवा शुरु कर दी है। निशातपुरा से भोपाल स्टेशन ज्यादा दूरी पर नही था । स्टेशन का रास्ता भी सूरज को अच्छे से याद था । लिहाजा सूरज ने एक योजना बना डाली ।
ऐसी योजना बनाई कि..
योजना ये थी कि रात को जब सभी खाना खाने के बाद सो जाएंगे तो वो अपना जरुरी सामान स्कूल बैग में लेकर अपनी बुआ से मिलने के लिए गुना जाएगा। गुना जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे इसलिए उसने स्कूली ड्रेस पहनी और बैग में बिस्किट का पैकेट रख लिया। रात हुई तो बड़े प्यार से सूरज ने अपने घर वालों को सोने का बहाना बनाकर चकमा दे दिया। रात के 2 बजे सूरज ने घर का दरवाजा खोला और निकल पड़ा बुआ से मिलने के लिए । बुआ का घर गुना में था और गुना ट्रेन में जाना था .जेब में पैसे ना थे लेकिन स्टेशऩ का रास्ता पता था। धीरे-धीरे सूरज रात की सुनसान गलियों में स्टेशन की ओऱ जा रहा था।
माता-पिता के उड़ गए होश
इधर घर पर जब सूरज की मां उठी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि बिस्तर से लाडला गायब था. मन में कुछ अनहोनी के डर से पिता को जगाया पिता के भी होश उड़ गए । सूचना पीसीआर को दी गई । पीसीआर ने भी अपहरण की घटना सोचकर इलाके में घेराबंदी की । करीब रात के 3 बजे पुलिस को एक बच्चा निश्चिंत होकर स्टेशन की ओऱ आता दिखा । हुलिया ठीक वैसा ही था जैसा पीसीआर टीम को जानकारी दी गई थी। पुलिस ने बच्चे को रास्ते में रोका और बड़े प्यार से पूछा कि आपको जाना कहां हैं।
पुलिस भी हैरान
जवाब सुनते ही पुलिस वाले चकरा गए क्योंकि इस बच्चे को रेलवे स्टेशन जाना था वहां से ट्रेन पकड़नी थी और गुना जाकर बुआ से मिलना था। माजरा सभी के समझ में आ गया था . तुरंत बच्चे के मिल जाने की शुभ सूचना माता-पिता को दी गई। मौके पर बच्चे के मां-बाप आए और पुलिस वालों को धन्यवाद दिया। इस तरह से एक परिवार का सूरज जो कि रात के अंधेरे में निकल पड़ा था अपने घर सकुशल वापस आ गया।