बैंगलोर में एक महिला ने एक युवक पर शादी का झूठा वादा कर रेप करने का आरोप लगाया था. कोर्ट रेप के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.मामले की सुनवाई के दौरान महिला ने अपने एक बयान में स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि वो रेप के बाद थककर सो गई थी.
जज ने जताई आपत्ति
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने उसके इस बयान पर आपत्ति जताई.महिला के आरोप पर संदेह जताते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये की जमानत राशि और कुछ शर्तों के साथ बरी कर दिया. जज शिकायतकर्ता के इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थे कि वो रेप के बाद थककर सो गई थी. अपना फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि ये अनउपयुक्त है और हमारे यहां की महिलाएं रेप होने के बाद इस तरह का व्यवहार नहीं करती हैं.
बयान से असंतुष्ट हुए जज
जमानत के आदेश के साथ ही जज ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ये समझाने में असफल रही कि वो कथित वारदात वाले दिन रात में 11 बजे अपने ऑफिस क्या करने गई थी और आरोपी के साथ शराब पीने पर किसी तरह की आपत्ति क्यों नहीं जताई.अदालत ने रेप के आरोपी को छह शर्तों पर जमानत दी है और आदेश के मुताबिक एक भी शर्त का उल्लंघन होने पर उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी. इसके अलावा आरोपी को महीने के हर दूसरे और चौथे शनिवार को पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करना होगा.
महिला ने किया विरोध
वहीं शिकायतकर्ता के वकील ने इस जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों पर लगाए गए अपराध गंभीर हैं और इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश किए गए हैं. उन्होंने अपराधी की अग्रिम जमानत को ‘समाज के लिए असुरक्षित’ बताते हुए उसकी याचिका खारिज करने की मांग की.
जज ने बताई वजह
जज ने कहा, ‘शिकायतकर्ता का कहना है कि शादी का झूठा वादा कर उसके साथ रेप किया गया लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए इस मामले पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है.’जज ने शिकायतकर्ता महिला से इस पर भी पूछताछ की। कि वो अदालत के पास तब क्यों नहीं आई जब आरोपी उसे सेक्सुअल फेवर के लिए मजबूर कर रहा था.