जगदलपुर । लाखों करोड़ो रूपए खर्च करक जगलदपुर में सीटी ग्राउण्ड, हाथा ग्राउण्ड और इंदिरा स्टेडियम का कायाकल्प किया गया था। अगर हम बारी बारी से इन मैदानों की जमीनी हकीकत कहें तो इंदिरा स्टेडियम का निर्माण ही नियम विरूद्ध हुआ इसके बारे में पूर्व खेल अधिकारी ने मिडिया को जारी अपने स्टेमेंट में इसका उल्लेख किया है। तो दूसरी तरफ हाथा ग्राउण्ड में जिस लेवल पर काम हुआ उससे लगता था कि यहाँ राष्टीय स्टर के खेल कूद जल्द होगें या यहाँ के खिलाडियों को एक अंतराष्ट्रीय स्तर के खेल का मैदान की सुविधा मिलेगी। मगर अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ । बात करते हैं सिटि ग्राउण्ड जहां निर्माण को अगर देखें तो परी तरह से अव्वस्थित नजर आता है।
हाल में हुए बारिश ने इस मैदान पोल खोल दी । मैदान में इतना पानी जमा हो गया था कि बच्चे इसमें तैराकी करते हुए दिख रहे थे । इस मैदान को सुधारने के नाम पर जो भ्रष्टाचार हुआ है उसकी वजह से मैदान के अस्तित्व पर ही संकट मंडरा रहा है ,
बारिश के बाद हालात ये हैं कि मैदान के अधिकांश हिस्सों में पानी भर गया है और उसकी वजह मैदान दलदल की शक्ल ले चुका है , मैदान के चारों तरफ जो फुटपाथ का निमार्ण किया गया है उसमें भी पानी जमा हो गया है ।जिसकी वजह से ने तो आप मैदान में खेल सकते हैं न ही फुटपाथ में चल सकते हैं ।
मैदान के चारों किनारों को ऊंचा कर दिए जाने से यहां जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। इसकी खास वजह मैदान में जमा होने वाले पानी के लिए निकासी का जरिया बंद हो जाना है और तो और मैदान के चारों तरफ लगभग एक फिट की बाउंड्री जैसी बना दी गई है जिसकी वजह से भी पानी निकासी में समस्या हो रही तथा इस छोटी बाउंड्री से खिलाड़ियों को गंभीर रूप से घायल होने की आंशका भी है ।जिसे दुरुस्त करने के लिए आज तक ना ही प्रशासनिक और न ही जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई पहल की गई है। इसको लेकर पूर्व में मीडिया ने कई बार आवाज भी उठाई है। लेकिन इसकी गूंज अधिकारियों लेकर राजनीतिक प्रतिनिधियों व नेताओं के कानों तक नहीं पहुंची ।शहर के इतने महत्वपूर्ण मैदान का पुनर्निर्मित करने के समय क्या पानी निकासी की व्यवस्थाओं के विषय में सोचा नहीं गया ?! इस कार्य का भौतिक सत्यापन करने वाले अभियंता पर भी कार्रवाई होनी चाहिए ,क्योंकि उन्हें तो इस बात की समझ होनी चाहिए थी ,इसके अलावा इस का निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार पर भी जांच होनी चाहिए ।