यदि कोई निवेशक एक जुलाई से किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करता है, उसे उस पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी। सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी या सिप) और सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) में पैसा लगाने वालों को भी स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी। नई व्यवस्था के तहत डेट म्यूचुअल फंड हो या इक्विटी म्यूचुअल फंड, सभी पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इसका सबसे ज्यादा असर डेट फंडों पर देखने को मिलेगा, जो आम तौर पर छोटी अवधि के लिए होते हैं। म्यूचुअल फंड पर स्टांप ड्यूटी जनवरी, 2020 से ही लगने वाला था, लेकिन पहले इसे टालकर अप्रैल किया गया और फिर जुलाई कर दिया गया। यदि अब इसकी तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाती है तो पहली जुलाई से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
स्टांप ड्यूटी म्यूचुअल फंड की यूनिट बेचने समय नहीं, बल्कि खरीदते समय चुकानी होगा। 30 दिन या इससे कम समय के लिए निवेश करने वाले निवेशकों पर इसका असर सबसे ज्यादा होगा। यह ड्यूटी एकबार में ली जाएगी।
ऐसे लगेगी स्टांप ड्यूटी
1. म्यूचुअल फंड की यूनिट्स खरीदने पर कुल निवेश का 0.005 प्रतिशत रकम स्टांप ड्यूटी के तौर पर चुकानी होगी। इसका मतलब है कि यदि निवेश 10 हजार रुपये का है तो केवल 50 पैसे की ड्यूटी चुकानी होगी।
2. यदि कोई निवेशक म्यूचुअल फंड की यूनिट्स ट्रांसफर करता है तो उसे तीन गुना ज्यादा यानी 0.015 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी। ऐसे में 10 हजार रुपये के निवेश पर 1.50 रुपये की स्टांप ड्यूटी बनेगी।
स्टांप ड्यूटी को इस तरह डिजाइन किया गया है कि 90 दिन या इससे कम समय तक होल्ड करने वाले यूनिट पर सबसे ज्यादा असर होगा। यानी इससे निवेश बनाए रखने को बढ़ावा मिलेगा।