दिल्ली में लॉकडाउन के दूसरे दिन शाहीन बाग के धरनास्थल को पुलिस ने पूरी तरह खाली करा दिया है। दक्षिण पूर्वी जिले के डीसीपी ने बताया कि मंगलवार सुबह वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों से धरनास्थल को खाली करने की अपील की गई, लेकिन वे नहीं माने। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि धरनास्थल को खाली करा दिया गया है और मौके से कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। पिछले तीन महीने से सड़क बंद कर चल रहे धरने के लिए लगे सभी टेंट को पुलिस आज सुबह पुलिस ने निकलवा दिया है। इसके अलावा जाफराबाद इलाके में भी भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
शाहीन बाग से साथ ही हौज रानी समेत आठ प्रदर्शनस्थलों को खाली कराया गया है। हालांकि बाकी जगहों से किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है। फिलहाल दिल्ली में नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में चल रहे सभी धरनास्थल खाली हो गए हैं। मालूम हो कि रविवार को जनता कर्फ्यू के दिन से ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव चल रहा था। जनता कर्फ्यू के विरोध और समर्थन को लेकर प्रदर्शनकारी दो गुटों में बंट गए थे। इसे लेकर दोनों पक्षों में बवाल इस हद तक बढ़ गया था कि प्रदर्शनकारियों ने एक दूसरे पर जुते-चप्पल तक फेंके।
प्रदर्शनकारियों का एक गुट शुरू से ही कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शन स्थगित करने के समर्थन में था, जबकि दूसरा गुट आज भी पुलिस की कार्रवाई से पहले तक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना जारी करने के पक्ष में अड़ा हुआ था। रविवार से ही वहां बवाल की आशंका थी, जिस वजह से भारी पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई थी। हालांकि रविवार को एक पक्ष के लोग धरनास्थल पर सांकेतिक प्रदर्शन के लिए अपने जूते चप्पल रख कर चले गए थे। उन्होंने पोस्टर लगाकर सूचना दी थी कि उनका धरना जारी है। प्रदर्शनकारी कनिज फातिमा ने बताया था कि कोरोनावायरस महामारी की बढ़ती समस्या के कारण रविवार से वहां आने वाला कोई भी प्रदर्शनकारी सिर्फ चार घंटे ही धरनास्थल पर रहेगा, और उसके बाद वह यहां से चला जाएगा।
यह व्यवस्था रविवार से लेकर कोरोनावायरस की समस्या समाप्त होने तक या कानून वापस होने तक जारी रहेगी। लेकिन इसके बाद दिल्ली में पूरी तरह से लॉकडाउन और फिर कर्फ्यू लग जाने के कारण धरना किसी भी रूप में चल पाना कानून के खिलाफ है। इसी के मद्देनजर पुलिस ने मंगलवार को सख्ती से कार्रवाई की।