राजनांदगाव। जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो जनता कहा जाए ? जी हाँ ये सवाल जरूर उठेगा जब ये पूरी खबर पढ़ेंगे।
बता दें कि राजनांदगांव जिले के सीएसपी मनीशंकर चंद्रा के सनसिटी कंचनबाग स्थित मकान में ही झाडू पोंछा करने वाली एक महिला से सीएसपी के घर खाना बनाने वाले पुलिस के ही जवान ने कुकुर्म को अंजाम दे दिया पर सिटी कोतवाली पुलिस ने रिपोर्ट ऐसी लिखी कि मूल घटना स्थल को ही बदल दिया।
कोतवाली पुलिस एफआईआर में रेप की मूल घटनास्थल को बदलने में तो कामयाब हो गई पर पीड़ित महिला ने कोर्ट में सीएसपी चंद्रा के सनसिटी स्थित मकान में ही उनके साथ बलात्कार होना बताकर कोतवाली पुलिस की कुकुर्म जैसे अपराध की परिस्थितियों पर पर्दा डालने में सहभागिता और एक सोची-समझी षडयंत्रकारी एफआईआर की पूरी तरह पोल खोल कर रख दी।
बलात्कार पीड़ित और उसके पति ने साफ तौर पर कहा कि शहर कोतवाली की महिला पुलिस और अन्य अधिकारियों ने उन्हें तमाम तरह से डरा-धमकाकर, टार्चर करते हुए उन्हे बार-बार यह कहने के लिए दबाव डाला कि वे रेप की घटना को चंद्रा साहब का घर न बताकर खुद (पीड़ित का घर) बताए तो वह बच जाएगी? घटना हालाकि बीस दिन पुरानी है पर सत्यकथा पर आधारित है। मामला पुलिस के बड़े अधिकारी से जुड़े होने के कारण अभी तक उजागर नहीं हो पाया था। 12 जून 2020 को शहर कोतवाली में दर्ज अपराध क्रमांक 294/ 2020 में फिलहाल कुकुर्म के आरोपी पुलिस आरक्षक क्रमांक 213 रमेश कुमार एल्ले पिता स्व. किशन लाल एल्ले को भादवि की धारा 376 और 450 के तहत जेल भेज दिया गया है। इधर आरक्षक को सस्पेंड कर विभागीय जांच भी की जा रही है।