जगदलपुर। कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर पांच दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर काम बंद कर हड़ताल पर चले जाने वाले साढ़े चार लाख सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध सरकार सामूहिक अवकाश स्वीकृत नहीं करते हुए
ब्रेक इन सर्विस का फरमान जारी किया है। इस आदेश का विरोध करते हुए कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने शनिवार को सरकार के इस तुगलकी फरमान की निंदा किया है।
फेडरेशन ने कहा कि अनिश्चितकालीन आंदोलन को कमजोर करने की साजिश के तहत सामूहिक अवकाश स्वीकृत नहीं करते हुए ब्रेक इन सर्विस का फरमान शासन ने जारी किया है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संभागीय संयोजक गजेंद्र श्रीवास्तव, संभाग प्रभारी कैलाश चौहान, जिला संयोजक आरडी तिवारी का कहना है कि सरकार का यह कदम उचित नहीं है।
विगत 05 दिनों से तहसील/ब्लाॅक तथा जिला मुख्यालयों में कर्मचारी अधिकारी सड़क पर हैं, सरकार को फेडरेशन से बात करके कोई रास्ता निकालना चाहिए।
लेकिन पांच दिवसीय हड़ताल के अंतिम दिन छत्तीसगढ़ के समस्त 31 जिला मुख्यालयों में कर्मचारियों के जनसैलाब से सरकार घबरा गई है
और आगे के अनिश्चितकालीन आंदोलन को कमजोर करने की साजिश के तहत सामूहिक अवकाश स्वीकृत नहीं करते हुए ब्रेक इन सर्विस का फरमान जारी किया है,
इससे हम डरने वाले नहीं हैं। पहले भी आंदोलन में सरकार इस प्रकार के पत्र जारी करती रही है। अब कर्मचारी दुगने उत्साह के साथ अनिश्चितकालीन आंदोलन में उतरने को तैयार हैं।
फेडरेशन जिला बस्तर से संबद्ध कर्मचारी संगठनों के अध्यक्षगण मानसिंह भारद्वाज, अजय श्रीवास्तव, रजी वर्गिस, धनंजय देवांगन, मोतीलाल वर्मा, हरीश पाठक, जेआर कोसरिया, धर्मेंद्र देवांगन, आनंद कश्यप, जेएन जोशी, राजेंद्र परगनिया, राम मरकाम, मुरलीधर सेठिया, रविंद्र विश्वास, देवराज खूटे, पल्लव झा,
बसंत जैन, सत्यप्रकाश बाघ, राजकुमार झा, सुशील पांडे, मनोज कुमार, पीआर देवांगन, मनीष श्रीवास्तव, बलीराम पुजारी, श्रीमती आशा दान, नीलम मिश्रा, पूर्णिमा देहारी, भारती गिरी, हेमलता नायक, दुर्गा वर्मा, दीपा मांझी आदि कर्मचारी नेताओं ने सरकार की इस दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है।