गरियाबंद। कोरोना महामारी का असर मंदिरों में होने वाली पूजा-पाठ पर भी देखने को मिल रहा है। मंदिरों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम हो गई है, और जो श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं उन्हें नियमों का पालन करना पड़ रहा है, जिसके तहत 6 जुलाई से सावन मास शुरू हो रहा है, और हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस माह में शिव की पूजा पाठ का विशेष महत्व रहता है, इस महीने में भगवान शिव की पूजा श्रद्धालु अलग-अलग ढंग से करते हैं । कोई कावड़ ले जाकर तो कोई जल चढ़ा कर अपने आराध्य की पूजा करते हैं।
जिसके चलते गरियाबंद जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थापित विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग भगवान भुतेश्वरनाथ धाम में पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लोगो की आस्था जुड़ी हुई है, यहाँ हजारो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते है। और कावड़ में पानी लेकर सैकड़ो किलोमीटर से पैदल चलकर वहां पानी चढ़ा कर दर्शन कर अपनी मुराद पूरी करते है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण बहुत कुछ नियम बदल गए हैं, श्रद्धालुओं को इस बार अपने धार्मिक कार्यक्रम शुरू करने से पहले शासन द्वारा निर्धारित नियमो का भी पालन करना है। जैसे मास्क अनिवार्य कर दिया गया है।
वही कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस अधिक्छ्क सुखनंदन राठौर ने बताया कि इस विपरीत परिस्थिति में श्रद्धालुओं को दर्शन से तो वंचित नही किया जाएगा लेकिन उन्हें प्रशासन के द्वारा तय किये गए नीतियों का पालन करते हुए उन्हें भूतेश्वर नाथ दर्शन करने दिया जाएगा जिसमे मास्क को अनिवार्य करते हुए शोसल डिस्टेंश पालन करना है।वही लोगो की सुविधा को देखते हुए सुबह से ही पुलिस बल भुतेश्वरनाथ स्थल में लगाया जाएगा ।
गरियाबंद जिले की बात की जाए तो वैसे तो यहां के सभी शिवालयों में हर साल भक्तों की भारी भीड़ रहती है, लेकिन यदि जिले के दो प्रमुख मंदिरों कुलेश्वरनाथ और भूतेश्वर नाथ मंदिर की बात की जाए तो दोनों ही मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन इस बार सावन मास में इन मंदिरों में भी नियमों को बदल दिया गया है, यहां भी श्रद्धालुओं को दर्शन करने से पहले कई नियमों का पालन करना होगा।