Azadi ka Amrit Mahotsav Dosa-Biryani Dosti: भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) दोनों देश अपनी-अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर चुके हैं। दोनों देश अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। इस उपलक्ष्य में भारत में आजादी का अमृत महोत्सव (nectar festival of freedom) मनाया जा रहा है। इसी क्रम में आयोजित एक आभासी युवा शांति संवाद में भारतीय और पाकिस्तानी स्कूली छात्रों (Indian and Pakistani school students)ने अपने-अपने देशों की संस्कृति, व्यंजन, शिक्षा और प्रौद्योगिकी पर चर्चा में भाग लिया।
इस चर्चा के दौरान छात्रों को डोसा-बिरयानी का लुत्फ उठाने का मौका भी मिला। लेकिन सबसे खास पल रहे जब छात्रों से पूछा गया कि क्या अधिक लोकप्रिय है? डोसा या बिरयानी? तो इस पर लंबी बहस के बाद रोचक जवाब सुनने को मिले।
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भारतीय बच्चे बोलते हैं बेहतर अंग्रेजी : फातिमा
‘एक्सचेंज फॉर चेंज’ कार्यक्रम में कक्षा छह से नौ ग्रेड के 20 भारतीय और पाकिस्तानी छात्र शामिल थे। संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाली 12 वर्षीय पाकिस्तानी छात्रा अलीजा फातिमा ने कहा कि हमें इस बात पर बहस करना अच्छा लगता था कि क्या डोसा बिरयानी से ज्यादा लोकप्रिय है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने अपने दोनों देशों की संस्कृति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और बहुत कुछ पर चर्चा की। फातिमा ने कहा कि भारतीय बच्चे बेहतर अंग्रेजी बोलते हैं और मुझे उनकी ऊर्जा, गर्मजोशी और उत्साह भी पसंद आया।
राष्ट्रीयता से पहले मानवता को दें प्राथमिकता
हालांकि, फातिमा को स्कूल में अपने भारतीय दोस्तों के साथ सीट साझा करना पसंद है, लेकिन उनकी खुशी ने उस वक्त बढ़ गई जब उसे अपने हम उम्र भारतीय छात्रों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम का आयोजन शांतिपूर्ण समझ के लिए पुल बनाने और दोनों देशों के भविष्य के बुद्धिजीवियों को वैश्विक नागरिक बनाने के लिए किया गया था, जो राष्ट्रीयता से पहले मानवता को प्राथमिकता दें। फातिमा ने कहा कि दोनों देशों के बीच समानताएं इतनी अधिक हैं। यह आयोजन यूनीक था। हमें एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला।
पड़ोसी देश को समझने में मदद मिली : हर्षदा
वहीं, भारत के मदुरै के लक्ष्मी पब्लिक स्कूल की एक छात्रा आराधना ने कहा कि महिलाओं की असमानता, गरीबी, असमान वर्षा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रभाव दोनों देशों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां हैं, जिन पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। एक अन्य छात्रा हर्षदा सुनील ने कहा कि मुझे अपने पड़ोसी देश को समझने में मदद की … और इसने निश्चित रूप से मेरी मानसिकता को बदल दिया। मैंने महसूस किया कि दोनों देशों के बीच बहुत कुछ समान है।
डोसा या बिरयानी पर पूरी चर्चा में नहीं निकला निष्कर्ष
रही बात डोसा और बिरयानी की लोकप्रियता को लेकर तो इस पर एक राय नहीं बन पाई। जहां पाकिस्तानी छात्र भारतीय डोसा खाने को मुरीद थे तो कुछ भारतीय छात्रों ने पाकिस्तानी बिरयानी को पसंदीदा बताया। लेकिन पाकिस्तान में दक्षिण भारतीय डोसा के स्वाद और वैरायटी की उपलब्धता न के बराबर है। जबकि उत्तर भारत में पाकिस्तान जैसी बिरयानी आसानी से उपलब्ध है। इसलिए, पूरी चर्चा में निष्कर्ष नहीं निकल पाया। निजी क्षेत्र की दो शिक्षण संस्थानों के समन्वय से यह आयोजन दोनों पड़ोसी देशों में छात्रों के बीच आपसी समझ बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।