सन 1961 को 23 अगस्त के दिन दुर्ग के एक सामान्य किसान श्री नंद कुमार बघेल के घर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बिंदेश्वरी बघेल जी ने एक बालक को जन्म दिया ।
बचपन से कठिन परिश्रम के धनी, पढ़ाई में होशियार, खेलकूद में भी अग्रणी, अपने शिक्षकों के प्रिय। इस नन्हे बालक की शुरुआती शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्रारंभ हुई। अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रायपुर के प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज से आगे की पढ़ाई करते हुए एम.एस.सी. तक की शिक्षा ली। इसी दौरान इनका इनका रुझान राजनीति की तरफ़ दिखने लगा और छात्र राजनीति की शुरुआत हुई । जिनका नाम आज न सिर्फ़ राजनीतिक गलियारों में तैरता है बल्कि प्रदेश का बच्चा बच्चा उन्हें अपने कका के नाम से संबंधित करता है , भूपेश बघेल जिन्हें उस समय लोग “भूपेश भईया” कहकर संबोधित करते थे।
जीवन के बढ़ते कदम के साथ छात्र राजनीति से भूपेश बघेल ने आगे बढ़ कर सक्रिय राजनीति में जाने का मन बनाते हुए स्वर्गीय श्री चंदूलाल चंद्राकर जी को अपना राजनीतिक गुरु माना और युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत की । पार्टी में अनेक पदों में रहने के बाद सन 1993 में अविभाजित मध्यप्रदेश के पाटन विधानसभा के सदस्य रूप में निर्वाचित हुए । इसके बाद वे लगातार 5 बार विधानसभा के सदस्य रहे । इसी क्रम में 90 के दशक में अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कैबिनेट में राजस्व और स्वास्थ्य इंजीनियरिंग मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी। सन 2000 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद छग विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और जोगी शासनकाल में राजस्व पुर्नवास, राहतकार्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे । साल 2003 में फिर विधायक बने ।
जीवन की सीढ़ियों में बढ़ते भूपेश बघेल के राजनीतिक सफर में एक मोड़ आया , और वः मोड़ निराशा लेकर आया क्योंकि 2008 के विधानसभा में वे चुनाव हार गए थे और हार का सिलसिला 2009 के संसदीय चुनाव में भी जारी रहा ।
साल 2013 का वो दिन जिसे कोई भी भुलाए नहीं भूल पाएगा झीरम घाटी हत्याकांड में कांग्रेस पार्टी ने अपने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा , विद्याचरण शुक्ल समेत कई नेताओं को खो दिया । 2013 में हुए इस घटनाक्रम के बाद विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल पुनः विधायक निर्वाचित हुए। और साल 2014 में पीसीसी चीफ के रूप में भूपेश बघेल ने बागडोर संभाली । उस पहले ही दिन से भूपेश बघेल ने तत्कालीन प्रदेश सरकार को हराने पूरे प्रदेश भर की यात्राएं लगातार करते रहे और वे एक परिश्रमी, आशावादी सोच , पूर्वानुमान का भाव रखते ,अपनी जादूई अंदाज़ से युवाओं को एकजूट करते रहे, नतीजतन साल 2018 में धुआंधार 90 में से 68 सीटों की बारिश से तत्कालीन प्रदेश सरकार के दिग्गजों को बाहर का रास्ता दिखाया और रिकॉर्ड मतों से जीत के साथ रिकॉर्डतोड़ सीटों ने श्री भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बनने का रास्ता साफ़ कर दिया।
मैं भूपेश बघेल…..
इस शपथ के दो घंटे के भीतर ही कृषि ऋण माफी और अपेक्षाकृत जल्दी तरीके से धान समर्थन मूल्य में 50% की वृद्धि। सरकार ने शिक्षा-कर्मी (अस्थायी शिक्षक) के लिए 15,000 स्थायी शिक्षकों के पदों की रिक्ति की घोषणा की। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण और प्रथमिकताओं वाली योजनाएं जिनमे नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना से विशेष प्रसिद्धि प्राप्त की है, जिसके अंतर्गत गोबर खरीदी योजना लाया गया और गौशालाओं का निर्माण किया गया। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के अंतर्गत पुराने पारंपरिक कार्यो के लिए युवाओं को प्रोत्साहन देने कोशिश किया गया है।
इस योजना का उद्देश्य आधुनिकता और परंपराओं के बीच संतुलन बनाकर कृषि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है। इस योजना का शुभारंभ जल संरक्षण, पशुधन संरक्षण और विकास, घरेलू कचरे के माध्यम से जैविक खाद का उपयोग और स्वयं की खपत के लिए बैकयार्ड में फलों और सब्जियों की खेती और अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किया गया है। ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग द्वारा नरवा (नालों और नदियों) से संबंधित कार्य लिए जा रहे हैं। फरवरी 2021 तक, लगभग 30,000 नरवा की पहचान की जा चुकी है और लगभग 5,000 नरवा का विकास पूरा हो चुका है। पिछले वर्ष के अनुसार गरवा (पशुधन) परियोजना के तहत 2,200 गोठान का निर्माण गांवों में किया गया है। घुरुवा (खाद) परियोजना के तहत इस साल तक गोठान में लगभग 6 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन महिला स्व-सहायता समूहों के महिलाओं द्वारा किया गया है। राज्य सरकार द्वारा कुल 6 करोड़ 72 लाख रुपये का लाभांश गोठान समितियों और स्वयं सहायता समूहों के खातों में स्थानांतरित किया गया है। वहीं, बारी योजना के तहत पोषण आहार के तहत सब्जी के बीज और पौधे वितरित किए जा रहे हैं।
किसानों के कल्याण के लिए 5700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसके माध्यम से राजीव गांधी किसान न्याय योजना 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी के शहादत दिवस पर शुरू की गई थी।
छत्तीसगढ़ में कुल कृषि योग्य भूमि क्षेत्र 46.77 लाख हेक्टेयर है। राज्य की 70% आबादी कृषि में लगी हुई है और लगभग 37.46 लाख किसान परिवार हैं। इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करना और कृषि क्षेत्र में वृद्धि करना है। योजना के तहत प्रदान किए गए 5750 करोड़ रुपये चार किस्तों में किसानों के खातों में स्थानांतरित किए गए। इस योजना से राज्य के 19 लाख किसान लाभान्वित हुए। योजना के प्रारंभिक वर्ष में धान, मक्का और गन्ना (रबी) फसलों को शामिल किया गया था। वर्ष 2020-21 में दलहन और तिलहन फसलों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राज्य के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दूसरे चरण में शामिल करने का निर्णय लिया है।
इस योजना के तहत आगामी खरीफ सीजन की तैयारी के लिए किसानों को 21 मई 2021 को 1500 करोड़ रुपये मिले। इनपुट सब्सिडी के रूप में राशि प्रदेश के 22 लाख किसानों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित किए गए। पर्यावरण संरक्षण हेतु खेतों में पेड़ लगाने वाले किसानों को रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। अगले तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 10 हजार दिये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में किसानों के कृषि ऋण माफ करने के अलावा 11 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रोत्साहन भी वितरित किए हैं।
21 जुलाई 2020 को बघेल ने छत्तीसगढ़ सरकार के नेतृत्व में जैविक खेती को बढ़ावा देने, ग्रामीण और शहरी स्तरों पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने, गौ पालन और गौ संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की। योजना के अनुसार, सरकार किसानों और पशुपालकों से ₹2 प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदती है। खरीदी के बाद, महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गाय के गोबर को वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है, जो किसानों को ₹10 प्रति किलोग्राम के लिए जैविक खाद के रूप में बेचा जाता है, इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना है।
जुलाई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, गोधन न्याय योजना के तहत अब तक पशुधन मालिकों को 153.44 करोड़ का भुगतान किया गया है। योजना के दो साल पूरे होने पर हितग्राहियों के खाते में 48वीं किश्त के रूप में 7 करोड़ 48 लाख रुपए का भुगतान किया गया। योजना के तहत राज्य के 1,62,497 पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें 70,299 भूमिहीन ग्रामीण शामिल हैं और गोधन न्याय योजना के लाभार्थियों में से 44.55 प्रतिशत महिलाएं हैं। राज्य में अब तक 8,408 गौठान निर्मित किए गए हैं।
योजना की दूसरी वर्णगांठ पर हरेली त्योहार से 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदी शुरु की गई, जिसके पहले विक्रेता स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने। पहले दिन ही 2,306 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक पशुधन मालिकों को 153.44 करोड़ का भुगतान किया गया है। योजना के दो साल पूरे होने पर हितग्राहियों के खाते में 48वीं किश्त के रूप में 7 करोड़ 48 लाख रुपए का भुगतान किया गया। योजना के तहत राज्य के 1,62,497 पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें 70,299 भूमिहीन ग्रामीण शामिल हैं और गोधन न्याय योजना के लाभार्थियों में से 44.55 प्रतिशत महिलाएं हैं। राज्य में अब तक 8,408 गौठान निर्मित किए गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक योजना की दूसरी वर्णगांठ पर हरेली त्योहार से 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदी शुरु की गई, जिसके पहले विक्रेता स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने। पहले दिन ही 2,306 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई।
अपने निर्णयों के लिए ख्याति प्राप्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई निर्णयों से अपने होने का एहसास एक पारिवारिक सदस्य के रूप में दिलाते रहते हैं। चाहे कोई गरीब उनके पास जाए या फिर भेंट मुलाकत कार्यक्रम के दौरान उन्हें कोई असाहय मिल जाए उन्हें तत्काल एक बड़े भाई एक परिवार के सदस्य के रूप में आर्थिक सहायता पहुंचाने का कार्य हो। या फिर सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिलाओं को एक बड़े भाई के रूप में तीज त्योहारों में छुट्टियां प्रदान करना हो , या फिर छत्तीसगढ़ के तीज त्योहारों को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहुचाएं हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपने तीज त्योहारों को छिपाने की नहीं बल्कि उसे गर्व के साथ मनाने की सीख भी छिपी है। इसी लिए तो इन्हे हर कोई “कका” कहकर सम्बोधित करता है , क्योकि कका का अर्थ ही चाचा होता है। और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर परिवारों के सदस्यों होने का एहसास समय समय पर कराते रहते हैं।
ऐसी ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गेम चेंजर और महत्पूर्ण योजनाओं के माध्यम से उनकी की मंशा की अनुरूप विद्यार्थियों के लिए पढ़ई तुंहर दुआर , महिलाओं से स्वास्थय सम्बंधित समस्याओं के निवारण के लिए दाई दीदी क्लिनिक जैसी अनेक कल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यंकारी योजनाओं जीवनपर्यन्त चलती रहें और प्रदेश के सभी इन योजनाओं का लाभ उठाते रहें। ऐसी शुभकामनाओं के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी को आज उनके जन्मदिन के शुभावसर पर हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएँ।
इस विशेष लेख के माध्यम से सीएम भूपेश बघेल के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को जनता तक पहुंचाने का प्रयास जन्मदिन के शुभ अवसर पर ग्रैंड न्यूज़ के रिपोर्टर – नमन शर्मा द्वारा संकलित और लेखन कर ग्रैंड ग्रुप की ओर से बधाई देने का प्रयास किया गया है।