एक व्यक्ति एक सरकारी पेंशन के नियम को मोदी सरकार विगत सात सालों में लागू करने का प्रयास नही करने के कारण जागरूक लोगों ने मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जनहित याचिका का सहारा लिया है।
कोर्ट ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक, सांसद और मंत्रियों के एक से अधिक पेंशन मामले पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस देकर चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि जब सरकार के जुड़े अन्य सभी विभागों को एक व्यक्ति एक पेंशन दी जाती है तो जनप्रतिनिधियों को एक से अधिक पेंशन क्यो दी जाती है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार कांग्रेस के गलतियों को सुधारने का काम विगत सात सालों से कर रही है, कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद्र खेल रत्न पुरस्कार के साथ ही कई अन्य योजनाओ योजनाओं में भी बदलाव किया है,
लेकिन कांग्रेस सरकार की चली आ रही नेताओं की एक व्यक्ति कई पेंशन की योजना को क्यो नही अभी तक बंद किया गया, क्या नेताओं के हितों से जूडा मामला होने के कारण मोदी सरकार को कांग्रेस सरकार की यह गलती अभी तक दिखाई नही दी।
गौरतलब है कि अधिकारी कई पदों पर काम करने के बाद भी उसे एक ही पेंशन मिलती है लेकिन भारतीय लोकतंत्र में एक विधायक अगर मंत्री या फिर सांसद बन जाता है तो उसे कई पेंशन मिलती है, एक ही देश मे सरकारी पेंशन के लिए दो दो कानून बताता है देश में नेताओं को ख्याल हर राजनीति पार्टी करती है, चाहे वह गलत ही क्यो ना हो। इंदौर हाईकोर्ट नेताओ के एक व्यक्ति कई पेंशन पर क्या फैसला लेता है इस पर सभी की नजर है क्योकि यह सवाल लम्बे समय से आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ था लेकिन कभी भी इसको लेकर अदालत की लड़ाई नही लड़ी गयी। निश्चित ही नये भारत में जनता ने नेताओं के खिलाफ भी मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है।