रायपुर। Hindi Diwas ; जन जागरूकता कचहरी चौक स्थित बाल आश्रम व डागा महाविद्यालय के सभा भवन में छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के तत्वधान में आज हिंदी दिवस के उपलक्ष में हिंदी का लोकतंत्र पर एक व्याख्यान का आयोजन हुआ जिसमें डॉक्टर केसरी लाल वर्मा कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, राजे महंत डॉक्टर, राम सुंदर दास अध्यक्ष राज्य गौ सेवा आयोग, सत्यनारायण शर्मा विधायक ग्रामीण एवं पूर्व मंत्री डॉक्टर साहित्यकार भागवत दुबे, सुशील त्रिवेदी अध्यक्ष छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान, डॉक्टर सुधीर शर्मा, अजय तिवारी अध्यक्ष बाल श्रम, सुरेश शुक्ला की विशेष उपस्थिति रही।
इस आयोजन में प्रमुख वक्ताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा की हिंदी संपर्क और संवाद की भाषा है, हिंदी ने देश को आजादी दिलाई और बताया कि हिंदी में समावेशी करने की प्रवृत्ति है। वही इन विद्वत जनों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, 75 वर्ष बाद हिंदी को वह स्थान नहीं मिल पाया है जो मिलना चाहिए था। यहां तक कि देश का संविधान भी अंग्रेजी में लिखा गया है।
कार्यक्रम में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर केसरी लाल वर्मा ने कहा कि हिंदी दिवस का यह आयोजन अवसर देता है कि यह विचार करें की हिंदी के विकास के लिए किस तरह का योगदान किया है, उनका कहना था कि हिंदी के माध्यम से हम सभी एकजुट हो सकेंगे, यहां तक की अधिकांश विद्वान की भाषा हिंदी रही है, उन्होंने बताया कि कोई भाषा छोटी बड़ी नहीं होती यह प्रवक्ताओं पर निर्भर करता है कि किसे छोटी बताएं और किसे बड़ी, अब तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषा को महत्व दिया जा रहा है। इससे सृजनशीलता बढ़ेगी आज तमिलनाडु में सबसे ज्यादा लोग हिंदी सीखते हैं और बोलते हैं क्योंकि हिंदी संवाद की भाषा है, पहचान दिलाती है, हिंदी फिल्में छा गई है, क्योंकि भाषा हिंदी है। विश्व में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकप्रियता हासिल मिली है तो हिंदी की वजह से मिली हिंदी संप्रेषण की भाषा है।
वहीँ आयोजन में डॉक्टर राम सुंदर दास अध्यक्ष राज्य गौ सेवा आयोग ने कहा कि अधिकांश भारतीय हिंदी बोलते हैं, क्योंकि हिंदी एक सूत्र में जोड़ने का काम करती है, सहज सरल अपनापन की भाषा हिंदी है प्रजातंत्र और लोकतंत्र में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं, तो हिंदी में की जाती है, रामचरितमानस ना केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि सामाजिक ग्रंथि है, उन्होंने कहा कि रामराज्य आने की बात की जा रही है, परंतु रामराज्य आएगा कैसे राम राज्य के मूल में क्या है, मर्यादा पुरुषोत्तम राघवेंद्र 14 वर्ष बाद वनवास से लौटे तो सभा में सभी को बुलाया और कहां की राज मद मैं आकर जनमानस का अहित हो जाए तो निर्णय से अवगत कराइए।
डॉ महंत ने कहा त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था है एक पंच से वृद्ध ने कहा हमारी गली और मोहल्ले में पंप के कारण गंदगी फैलती है नाली बना देंगे तो व्यवस्था सुधर जाएगी, परंतु पंच ने यह समझा कि बूढ़ा व्यक्ति गलती बता रहा है, इसलिए उसकी मासिक पेंशन रोक दी तो क्या ऐसे में रामराज्य आएगा, हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे होने चाहिए जैसे राघवेंद्र थे, उनका कहना था कि मुख्यमंत्री कैबिनेट की मीटिंग में कैबिनेट मंत्री तक सीमित होकर रह गए हैं, विधायकों की भी पूछ परख नहीं हो रही है, यह बड़ा चिंता का विषय है, क्या इस तरह से रामराज्य आएगा, आयोजन में साहित्यकार प्रोफेसर भागवत दुबे ने कहा कि हिंदी से किस तरह की अपेक्षाएं हिंदी भाषी क्या हिंदी के प्रति दायित्व निभा पाए हैं बहुत कम हिंदी के पाठक हैं, इसलिए हिंदी संकट में है हम हिंदी नहीं इंग्लिश बोलते हैं, अंग्रेजी का वर्चस्व दिमाग में घूम रहा है अंग्रेजी हावी होती जा रही है, आजकल की युवा पीढ़ी को नीला पूछो तो ब्लू समझते हैं, अगर हिंदी का लोकतंत्र बचाना है तो हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग होना चाहिए अंग्रेजी की मानसिक गुलामी को तोड़ना होगा।
वहीं आयोजन में विधायक ग्रामीण सत्यनारायण शर्मा ने कहा की हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है जो संस्कृत से जन्म हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे स्वरूप बदल रहा है 14 सितंबर 1949 को संविधान मैं अंगीकार होने के बाद यह शासन की कामकाज की भाषा बन चुकी है, उन्होंने बताया कि उनके पिता झावर मल शर्मा साहित्यकार थे इसलिए उनमें साहित्य के प्रति अभिरुचि है इसीलिए इस तरह के आयोजन में उपस्थित होना पसंद करते हैं, शर्मा बात पर जोर दिया हिंदी का प्रचार प्रसार होना चाहिए उन्होंने बताया कि देश के 53% तो हिंदी बोलते हैं जबकि पूरे विश्व में 64% लोग हिंदी को अपनाकर आत्मसात कर चुके हैं हिंदी महत्वपूर्ण भाषा है।
इसके बाद छत्तीसगढ़ साहित्य संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने कहा की भारत में हिंदी नवजागरण की भाषा रही है उनका कहना था कि हिंदी का दक्षिण में विरोध केवल वाणिज्यिक स्तर पर है अन्यथा हिंदी सर्वाधिक प्रचलित भाषा है डॉक्टर त्रिवेदी ने 1874 में साहित्यकार केशव चंद्र के पत्र का उल्लेख किया और हिंदी के पक्ष को बताया, उन्होंने कहा कि हिंदी देश में सर्वाधिक बोली जाती है जिन राज्यों में सर्वाधिक बोली जा रही है उनमें हरियाणा मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ चेन्नई महाराष्ट्र सहित कई राज्य हैं हिंदी का बहुमत होना चाहिए हिंदी कल लोकतंत्र में काफी व्यापकता है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि लोकतंत्र में मोहम्मद का शासन होता है जो निर्णय लेता है और क्रियान्वित करता है साथ में अल्पमत के विचार को भी लिया जाना चाहिए आज भारत में बहुमत का जलजला है डॉक्टर त्रिवेदी ने हिंदी को ज्ञान विज्ञान में परिभाषित करने की वकालत की और कहा कि न्याय हिंदी में किया जाना चाहिए तभी हम एक आम पीड़ित को लोकतंत्र में न्याय दिला पाएंगे विज्ञापन और फिल्म से हिंदी लोकप्रिय नहीं होगी इसे लोकप्रिय बनाने के लिए महत्व को स्वीकारना होगा आत्मसात करना होगा डॉक्टर त्रिवेदी ने बताया कि गांधी जी ने कहा था कि लोकतंत्र में जनता की आवाज सर्वोपरि है ईश्वर की आवाज सर्वोपरि है इसलिए अब भारत में लोकतंत्र वैश्विक तौर पर मंथन आरंभ हो चुका है उनका कहना था कि अंग्रेजों के आने के पहले भारत में गणतंत्र था लेकिन सन 18 57 1757 ने अंग्रेजों के गणतंत्र को समाप्त कर पाए तो हिंदी की वजह से कर पाए उन्होंने मंच से अपील की कि वर्ष 20 24 में रामचरितमानस को 450 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे इसलिए शताब्दी मनाई जानी चाहिए।
आयोजन में बाल आश्रम के अध्यक्ष अजय तिवारी सहित अन्य वक्ताओं जयप्रकाश मानस, गिरीश पंकज, रवि भाई, एडवोकेट तिवारी राम कुमार, न्यायाधीश सांखला सहित कई विद्वत जनों ने भी विचार रखकर हिंदी के पक्ष में बातचीत रखें।