रायपुर। राजधानी में गरीबों को जो मकान आवंटित किया गया है, उसकी गुणवत्ता में कितना घालमेल किया गया है, इसका प्रमाण सामने आने लगा है। सरकार ने गरीबों को आश्रय देने के लिए अच्छी योजना स्वीकृत की थी, निगम प्रशासन ने भी कुछ ऐसा ही सोचा था, लेकिन निर्माण एजेंसी ने सरकार से जितना रकम ऐंठा, उसके मुकाबले उस गुणवत्ता का मकान नहीं बनाया। इसकी परिणिति है कि पक्के मकानों के भी छत टपकते नजर आ रहे हैं।
यहां पर जिन लोगों का विस्थापन किया गया है, या जिन्हें बीएसयूपी के तहत मकान आवंटित किए गए हैं, वे टपकते छत की समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां के निवासियों का कहना है कि एक दिन के बारिश के बाद चार-चार दिनों तक पानी टपकते ही रहता है।