रायपुर। केंद्र सरकार ने किसी भी शहर को स्वच्छता की रैंकिंग देने का अपना तरीका बदल दिया है। पहले की तरह अब कागजी दस्तावेज और भागदौड़ की बजाय सीधे तौर पर आम जनता से मिलने वाली फीडबैक को आधार माना जाएगा। शहर की जनता जैसा जवाब देगी, उसके आधार पर ही शहर को रैकिंग मिलेगी। यानी इससे आम जनता को ज्यादा तरजीह मिलेगी और निगम प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार का रिमोट आम शहरी के हाथ में होगा।
2021 की नई गाइडलाइन में सफाई सर्वेक्षण पूरी तरह पब्लिक फीडबैक पर केंद्रित रहेगा। केंद्रीय टीम अब शहर की आम जनता से सफाई को लेकर सवाल करेगी। सफाई व्यवस्था से जनता खुश, तो अच्छी रैंकिंग मिलने में आसानी होगी। यही नहीं, अब साल में दो बार की जगह तीन बार केंद्र स्तर पर देशव्यापी स्वच्छता सर्वेक्षण कर सफाई की रैंकिंग तय की जाएगी, ताकि नगरीय निकाय क्षेत्रों की सफाई व्यस्था की सतत मानिटरिंग हो सके। केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर हाल ही में नई गाइडलाइन तय की है। नई गाइडलाइन में शहर की आम जनता की राय को प्रमुखता दी जाएगी। यानी अब पब्लिक फीडबैक को नगर निगम प्रशासन नजर अंदाज नहीं कर सकेगा, क्योंकि केंद्रीय टीम शहर की सफाई व्यवस्था की धरातल पर स्थिति जानने सिर्फ वहां लोगों से बात करेगी, जबकि अब तक हुए केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में बाहर से आए जांच दल के सदस्य शहर की सड़कों, नालियों की सफाई देखने गली कूचों में जाकर वहां की तस्वीर वेबसाइट पर लोड कर सीधे हेड आफिस भेजते रहे।