नई दिल्ली। राजस्थान में अब सियासी घमासान तेज हो गया है। इस वक्त राजस्थान में जिस तरह की सियासत चल रही है, स्थिति मध्यप्रदेश की तरह ही नजर आने लगी है। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होते ही कमलनाथ सरकार धम्म से गिर गई थी, कुछ ऐसा ही हाल इस समय राजस्थान का दिख रहा है, जहां युवा कांग्रेस नेता सचिन पायलट का बगावती सुर गहलोत सरकार की बुनियाद को हिला दिया है।
इन बिगड़ी हुई परिस्थितियों के बीच कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व सचिन पायलट को मनाने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन सचिन के समर्थन में खड़े विधायक कांग्रेस नेतृत्व की बात को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं, लिहाजा यह माना जा रहा है कि भाजपा मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान में झंडे गाड़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा को सत्ता से बाहर किया था, जिसमें केवल स्थिर सरकार के मायनों की बात की जाए तो वह छत्तीसगढ़ में आ पाई, शेष दोनों राज्यों में भाजपा को केवल चुनौती ही मिली। भले ही इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बना लिया, लेकिन परिस्थितियां सभी के सामने है। मध्यप्रदेश में शिवराज चैथी बार मुख्यमंत्री भी बन गए और उनकी सरकार ने 100 दिन पूरे कर लिए हैं, अब हालात राजस्थान के भी लगभग वहीं हैं, जहां कांग्रेस सरकार के पैरों तले सत्ता खिसकती नजर आ रही है, तो भाजपा एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए अग्रसर है।