शिक्षित व्यक्ति समझदारी भरी बातें करें ये हर बार जरुरी नहीं. कभी-कभी पढ़ा लिखा और वेल एजुकेटेड इंसान भी जाहिलों भरी भाषा का इस्तेमाल कर सकता है। या फिर ऐसे बातें वहीं करता है जिसे किसी पागल कुत्ते ने काटा हो।
ताजा मामला अशोक स्वैन का है। जिसकी मानसिकता सड़ चुकी है। उसका ओहदा भले ही औकात वाला हो। लेकिन भाषा गवारों से कम नहीं है। इसकी भाषा ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि इसने किताबों को निचोड़ कर पद पाया है। और बुद्धि बाजार में किलो के भाव बेच आया है।
संवेदना तो मानों इसकी मर सी गई है। एक ओर जहाँ अमिताभ बच्चन के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरा देश उनकी सलामती की कामनाएँ कर रहा है। प्रशंसक हों या आलोचक उन्हें जल्द ठीक होने का संदेश दे रहे हैं। वहीं स्वीडन की उपसला यूनिवर्सिटी में पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट के प्रोफेसर अशोक स्वैन उन्हें मोदी का चमचा कहकर अपने मुंह की गंदगी बाहर निकाली