रायपुर। कोरोना वायरस का कहर ऐसा टूटा है, कि शहर से लेकर गांव तक शांत हो गया है। लोग दिन काट रहे हैं, रातें गुजार रहे हैं, बस हर किसी को सिर्फ इंतजार है, तो इस बात का कि इस दर्द से छुटकारा मिल जाए। इसके लिए लोगों ने घर से निकलना छोड़ दिया है, आपस में मिलने से परहेज करने लगे हैं। इन बातों का सबसे ज्यादा बुरा असर उन गरीब लोगों के जीवन पर पड़ रहा है, जिनका जीवन रोज खाने के लिए कमाने पर निर्भर करता है। ऐसे लोगों की चिंता प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे हैं। उनके निर्देश पर सिख समाज की सक्रियता अविश्वसनीय है, तो महापौर एजाज ढ़ेबर की संवेदनशीलता भी सराहनीय है।
रायपुर नगर निगम के महापौर होने के नाते एजाज ढे़बर की सक्रियता लाजिमी है, लेकिन इससे परे उन्होंने मानवीयता का अभूतपूर्व परिचय कराया है। उन्होंने अपने निजी खर्च पर राजधानी में निवासरत कमजोर, गरीब और रोज कमाकर खाने वालों की चिंता में 30 हजार परिवारों को सहयोग करने का बीड़ा उठाया है, जिसमें उनका परिवार सहयोग कर रहा है। खुद होकर वे थैला तैयार करने में जुटे हुए हैं, जिससे एक परिवार, पूरे हफ्तेभर के लिए निश्चिंत होकर जीवन यापन कर सके।
उनके इस योगदान में सिख समाज भी योगदान में भला कैसे पीछे रह सकता है, जिन्होंने पहले ही तय कर लिया है कि शहर का कोई परिवार भूखा नहीं सोएगा। ग्रेंड न्यूज के सीएमडी गुरूचरण सिंह होरा के साथ स्वयं सेवी संस्थान आशाएं, आशा की किरण, दशमेश सेवा सोसायटी, छग सिख फोरम, छग सिख सोसायटी, मीनाक्षी ब्यूटी पार्लर, छग आॅफिसर्स सिख वेलफेयर सोसायटी ने पहले ही यह कर लिया है कि राजधानी में जहां 10 हजार ऐसे परिवारों के लिए व्यवस्था करेंगे, जिनके पास ना तो रोजगार है और ना ही भोजन व्यवस्था के लिए कोई दूसरा संसाधन है। महापौर एजाज ढे़बर ने जिस यज्ञ का बीड़ा उठाया है, उसमें सिख समाज की आहूति भी बेहद अहम स्थान रखती है।
सही मायने में देखा जाए तो राजधानी रायपुर में इन गरीबों को अपनी और अपने परिवार की चिंता करने की कतई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनकी चिंता प्रदेश के मुखिया के साथ ही मानव सेवा परमोधर्मः के सूत्र वाक्य पर चलने वालों ने करना शुरू कर दिया है।