Indian Air Force Day: वायुसेना की 90वीं वर्षगांठ पर चंडीगढ़ (Chandigarh) में एक कार्यक्रम के दौरान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी (Air Chief Marshal Vivek Ram Choudhary) ने बढ़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम अगले साल से महिला अग्निवीरों को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं। बुनियादी ढांचे का निर्माण प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के माध्यम से वायु योद्धाओं को वायुसेना में शामिल करना हम सभी के लिए एक चुनौती है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे लिए भारत के युवाओं की क्षमता का दोहन करने और इसे राष्ट्र की सेवा में लगाने का अवसर है।
आज भारतीय वायुसेना की 90वीं वर्षगांठ है। भारतीय वायुसेना ने देश को दुश्मनों से बचाने के लिए कई स्वर्णिम लड़ाईयां लड़ी है। भारतीय सेना के जमीन पर पराक्रम का लोहा मानने के साथ हवा में वायुसेना की तेजी और दुश्मनों को नेस्तनाबूत करने वाले इरादे भी कम यादगार नहीं है। 1962, 1965 और 1971 में वायुसेना का पराक्रम अतुलनीय है। शनिवार को चंडीगढ़ में वायुसेना दिवस पर एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने संबोधित किया।
महिला अग्निवीर भी जल्द
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हम केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम पर प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अगले साल तक महिला अग्निवीरों को भी वायुसेना में भर्ती किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि अग्निपथ स्कीम के तहत वायु योद्धाओं को भर्ती करना सभी के लिए चुनौती है।
3000 अग्निवीरों की भर्ती
वायुसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में केंद्र की मोदी सरकार की नई मुहिम अग्निपथ स्कीम पर काफी कुछ कहा। कहा कि हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी परिचालन प्रशिक्षण पद्धति को बदल दिया है कि प्रत्येक अग्निवीर भारतीय वायुसेना में करियर शुरू करने के लिए सही कौशल और ज्ञान से लैस है। इस साल दिसंबर में, हम शुरुआती प्रशिक्षण के लिए 3000 अग्निवीर वायु को शामिल करेंगे। आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ेगी।
हथियार प्रणाली शाखा को मंजूरी
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर पर यह घोषणा करते हुए मैं गौरवांवित महसूस कर रहा हूं कि सरकार ने भारतीय वायु सेना में अधिकारियों के लिए एक हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
आजादी के बाद ऐतिहासिक कदम
एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है कि एक नई परिचालन शाखा बनाई जा रही है। इसमें निर्माण से उड़ान प्रशिक्षण पर कम खर्च के कारण 3,400 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हो सकेगी।