नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज के खर्च को रेगुलेट नहीं किया जा सकता है। ये बात सुप्रीम कोर्ट ने कही। 14 जुलाई को उस याचिका की सुनवाई के दौरान, जिसमें कहा गया था कि कोरोना महामारी के दौरान प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज़ के नाम पर मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। इस याचिका में मांग की गई थी कि कोरोना वायरस पीड़ित मरीजों के इलाज़ के लिए एक रकम तय की जाए।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एसए बोपन्ना की बेंच ने कहा,
हम इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं कि इलाज़ की लागत बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए. ख़ास कर मौजूदा हालात में किसी को भी इलाज़ से इसलिए दूर नहीं करना चाहिए क्योंकि उसकी ट्रीटमेंट महंगी है.
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि देशभर में मेडिकल केयर की लागत को निर्धारित करना संभव नहीं है। कोर्ट ने यह जरूर कहा कि अगर किसी प्रदेश का लागत मॉडल बेहतर है तो केंद्र इस बात का ध्यान रखे इस मॉडल की जानकारी अन्य सभी प्रदेशों को भी हो।
प्राइवेट हॉस्पिटल के पक्ष में बोलते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि इलाज़ का खर्च पूरे देश में एक जैसा नहीं हो सकता है। क्योंकि हर प्रदेश की लागत और मॉडल अलग-अलग हैं। हर प्रदेश में प्राइवेट हॉस्पिटल ने कुछ बेड मरीज़ों के लिए आरक्षित किए हैं। उन्होंने कहा कि दिक्कत इंश्योरेंस कंपनियों की वजह से है। यदि मरीज़ के पास इंश्योरेंस है तो इंश्योरेंस कंपनियां इलाज के खर्चे का भुगतान क्यों नहीं कर सकतीं।
भारत में कोरोना वायरस : अभी तक नौ लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं। तीन लाख से अधिक एक्टिव केस है। करीब छह लाख लोग ठीक होकर डिस्चार्ज कर दिए गए हैं. कोरोना वायरस से 24 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी।