भिलाई का बी. एम. शाह. हॉस्पिटल बेहतर इलाज व सुविधाओं के लिए क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है , जहां डॉक्टरों ने गंभीर अवस्था में आए मरीजों का इलाज कर उन्हें नया जीवनदान दिया है ।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है । 4 अक्टूबर को श्री बी. के. चौहान, उम्र 71 वर्ष, को सीने में शाम को तेज दर्द उठा और पसीना आया। मरीज को रात 9 बजे बी. एम. शाह. हॉस्पिटल में लाया गया ।
ई.सी.जी. लेने के पश्चात पाया गया, कि मरीज को हार्ट अटैक (हृदयाघात) है। मरीज का रक्तचाप एवं दिल की धड़कन कम थी, जिसे कार्डियो जनिक शॉक कहते है। जिसमें मरीज की स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर होती है, ऐसे में जान को केवल आपातकालीन एंजियोप्लास्टी द्वारा ही बचाई जा सकती है। रिश्तेदारों से चर्चा करके मरीज को आपातकालीन में एंजियोप्लास्टी के लिए लिया गया।
मरीज़ को आपातकालीन स्थिति में डॉक्टर एस. के. सक्सेना और डॉक्टर सतीश सूर्यवंशी द्वारा एंजियोप्लास्टी में पाया गया की उनकी दाई ओर धमनी एकदम छोटी थी, और बाईं ओर कि दोनों धमनिया बड़ी-बड़ी थी, जिसे LAD और LCX कहते है। दोनों 100% बंद थी, जिसके कारण मरीज को एंजियोग्राफी, टेबल पर कार्डियक अरेस्ट (धड़कन का रुक जाना) हुआ, इसलिए मरीज़ को 15 मिनट तक कार्डियक मसाज दिया गया । जिससे मरीज़ की धड़कन फिर से वापस आ गयी। मरीज़ दिल की धड़कन कम हो गयी, जिससे टेम्परेरी पेस मेकर डालकर धड़कन बढ़ाया गया। मरीज का ऑक्सीजन लेवल भी कम हो गया था, उन्हें वेंटिलेटर मशीन पर रखा गया । इस गंभीर हालत में मरीज़ की दोनों नालिया एंजियोप्लास्टी द्वारा खोली गई। इसके बाद मरीज़ को क्रिटिकल केयर में (आई. सी. यू.) शिफ्ट किया 3 दिन तक उसको आई. सी. यू. की टीम द्वारा मैनेज किया गया। डॉक्टर सतीश सूर्यवंशी के अनुसार ऐसे मरीज़ जिनकी दोनों मुख्य नलिया ब्लॉक हो,
10 लाख में से ऐसा एक केस पाया जाता है। उस पर भी एंजियोप्लास्टी कर बच जाए तो कार्डियक अरेस्ट होने के बाद दुर्लभ मामला है। एस. एम. सी. बी. एम. शाह. हॉस्पिटल के कार्डियक टीम मरीजों के लिए 24 घण्टे अपनी सेवाएं दे रहा है। हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. जय तिवारी ने मरीज़ के स्वास्थ्य की मंगल कामना की और इसके साथ ही हॉस्पिटल के सभी इमरजेंसी स्टाफ, डॉक्टरों , आई.सी.यू टीम , नर्सिंग, एवं सहयोगी स्टाफ को बधाई दी।