नई दिल्ली: हाॅकी के कपिल देव के नाम से मशहूर धनराज पिल्लै कका जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले के खड़की जिले में 1968 में हुआ था। भारत के लिए 399 मैच खेलने वाले पिल्लै एक शानदार फाॅरवर्ड थे। उन्हें विपक्षी टीम को छकाने में महारत हासिल थी। 170 गोल करने वाले धनराज कभी टूटी स्टिक से खेला करते थे। आइए उनके जन्मदिन पर आपको उनके बारे में रोचक जानकारी देते हैं।
लकड़ी के डंडों को बनाया हाॅकी स्टिक
धनराज के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके चार भाई थे। हाॅकी के प्रति उन्हें बचपन से ही प्रेम था जब स्टिक नहीं मिली तो उन्होंने लकड़ी के डंडों को ही स्टिक बनाकर खेलना शुरू किया। उन्होंनेे इंटरनेशनल करियर 1989 में शुरू किया और 15 साल तक भारत का प्रतिनिधित्व किया।
ऐसा रहा उनका करियर ग्राफ
धनराज ने 4 ओलिंपिक (1992, 1996, 2000 और 2004), 4 वल्र्ड कप (1990, 1994, 1998 और 2002), 4 चैंपियंस टाॅफी (1995, 1996, 2002 और 2003) और 4 एशियन गेम्स (1990, 1994, 1998 और 2002) में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वह एकमात्र खिलाड़ी हैं। आपको बता दें कि 1998 के एशियन गेम्स और 2003 के एशिया कप विजेता हॉकी टीम के कप्तान धनराज ही थे। साल 2002 में जब जर्मनी में चैंपियंस टाॅफी में धनराज को प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट चुना गया था।
बड़ी टीमें
धनराज पिल्लै ने इंटरनेशनल स्टेज पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। वहीं इसके अलावा उन्होंने इंडियन जिमखाना, सेलनगोर एचए, मराठा वॉरियर्स, कर्नाटका लायंस और इंडियंस एयरलाइन का प्रतिनिधित्व किया।
खेल रत्न से सम्मानित
उनकी कप्तानी में भारत ने 1998 में और 2003 में एशियन गेम्स और एशिया कप जीता था। साल 1999-2000 में धनराज को खेल के सबसे बड़े पुरस्कार द राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया। 2001 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला। 2004 में उन्होंने हॉकी सेे आधिकारिक रूप से सन्यास ले लिया।