एंकर- छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में एक परिवार अपने चहेते का शव लेकर भटकते रहे। जिम्मेदार अधिकारियों ने शव ले जाने की व्यवस्था नहीं की। और जब हमारी टीम ने उनसे इसका कारण पूछा तो वो मुद्दे की बात बताने के बजाए योजनाएं गिनाने लग गए। और सबसे बड़ी तकलीफ तब होती है, जब ये पूरा क्षेत्र सूबे के स्वास्थ्य मंत्री की जद में आता हो ।
ये पूरा मामला अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज का है । जहां एक परिवार के सदस्य की वाड्रफनगर में एक्सीडेंट हुआ । इलाज के लिए उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलज लाया गया…जहा इलाज के दौरान व्यक्ति की मौत हो गई । पुलिस ने पंचनाम तैयार किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। लेकिन असली तस्वीर यहीं से साफ होनी शुरु हुई । क्योंकि मृतक के पोस्टमार्टम के बाद उसके शव को ले जाने के लिए कोई शव वाहन नहीं आया। परिजनों ने शव वाहन को कई बार कॉल किया । लेकिन नतीजा वही था ढ़ाक के तीन पात ।
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अधिकारी देते रहे गोल-मोल जवाब
वही इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों ने बताया कि शासन की तरफ से टोल फ्री नंबर डिस्प्ले किया जाता है । जिसमें जरुरतमंद कॉल कर सकते है । यानी अपना काम बताकर अधिकारियों ने भी पल्ला झाड़ लिया। छत्तीसगढ़ सरकार में स्वास्थ्य विभाग के बड़े-बड़े दावे हैं। योजनाएं हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां एक परिवार को कोरोना काल में शव वाहन के लिए भटकना पड़ा। परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो निजी वाहन कर सके।