शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati) ने एक ऐसा बयान दिया है।जिसके बाद उनके बयान की चर्चा हर जगह हो रही है। दरअसल निश्चलानंद सरस्वती ने दावा किया है कि ईसा मसीह हिन्दू (Jesus Christ was Hindu) थे।
उन्होंने ये भी कहा कि राजनेताओं ने सवर्ण,sc-st जैसे शब्द दिए हैं।क्या ये शब्द व्यवस्था सनातन धर्म की देन हैं? और इन्हीं शब्दों के चलते सनातनी हिंदू आपस में लड़ते हैं।नेता अपने फायदे के लिए इस तरह के काम करते हैं।लोगों को समझना चाहिए कि यह नेताओं की चाल और उनके बहकावे में न आएं।
दुर्भाग्य है कि भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा दी जाती
बातचीत में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि दुनिया में कितने ही देश हैं। सभी अपने-अपने धर्म को खुलकर मानते हैं। दुर्भाग्य है कि भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा दी जाती है। असल में ऐसा कहकर हिंदुओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है। भला कोई वस्तु अपने गुण-धर्म से अलग कैसे हो सकती है! दीये का काम है रोशनी देना। दीया रोशनी न दे तो उसकी क्या उपयोगिता। यही बात राष्ट्र पर भी लागू होती है।
क्या आदिवासी हिन्दू नहीं है ?
भारत में आदिवासियों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो स्वयं को हिंदू नहीं मानता है। आदिवासी खुद को प्रकृति पूजक मानते हैं। इस विषय पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज ने सवाल उठाते हुए कहा कि जो प्रकृति के पूजक हैं,क्या उनको प्रकृति की परिभाषा आती है ? वह खुद को हिन्दू नहीं मान रहे हैं ,लेकिन मनुष्य और प्राणी तो मानते हैं न ? अगर खुद को मनुष्य मानते रहे हैं तो मानवोचित शील कहा से लाएंगे ?