नई दिल्ली। दुनिया में एक करोड़ 46 लाख लोग कोरोना की चपेट में हैं, जबकि भारत में ये आंकड़ा 11 लाख का है। पिछले 6 महीने ने कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया हुआ है जिससे अब सिर्फ वैक्सीन ही छुटकारा दिला सकती है। दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन बनाने की होड़ मची हुई है। इस होड़ में भारत भी शामिल है। आज से को-वैक्सीन नाम के स्वदेशी वैक्सीन का दिल्ली के एम्स में ह्यूमन ट्रायल शुरू होने जा रहा है। इस वैक्सीन का नाम है ‘Covaxin’ और बहुत जल्द ये वैक्सीन महामारी का इलाज कर रहे डॉक्टरों के हाथों में आ सकती है।
‘Covaxin’ के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल टेस्ट की अनुमति दी जा चुकी है और पिछले हफ्ते से इसका इंसानों पर टेस्ट शुरू हो चुका है। आइसीएमआर और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड मिलकर ‘Covaxin’ बना रही है और आज से इसका ह्यूमन ट्राइल दिल्ली के एम्स में शुरू हो जाएगा।
कोरोना किलर वैक्सीन का ह्यूमन टेस्ट दिल्ली एम्स के साथ साथ देश के कुल 12 सेंटर्स पर हो रहा है। पहले चरण में कुल 375 वॉलंटियर पर ट्रायल होगा, जिसमें से 100 लोगों का टेस्ट दिल्ली के एम्स में होगा। सिर्फ 18 से 55 साल के उम्र के लोग ही ट्रायल में शामिल हो सकेंगे।
बता दें कि जिस शख्स पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होगा पहले उसका कोविड टेस्ट किया जाएगा। खून, लीवर, बीपी और किडनी समेत तमाम टेस्ट में स्वस्थ पाए जाने वाले को ही वैक्सीन की डोज दी जाएगी।
देश के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट्स को ‘Covaxin’ से बेहद उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि जल्द से जल्द ये वैक्सीन मार्केट में आ जाएगी और दुनिया भर में चल रही वैक्सीन रेस में भारत अव्वल साबित होगा। बहरहाल ‘Covaxin’ को कोरोना का सबसे भरोसमंद टीका बनने से पहले कई परीक्षाओं को पास करना होगा।
बहरहाल वैक्सीन का ट्रायल दो चरणों में होगा। पहले और दूसरे चरण को पूरा होने में 90 दिनों का वक्त लगेगा। पहले ह्यूमन ट्रायल के पूरा होने में एक महीना लगेगा, फिर ट्रायल के नतीजों को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के पास भेजा जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण के लिए परमिशन मिलेगी। यानी इस पूरे ट्रायल प्रक्रिया में कम से कम 90 दिनों का वक्त लग सकता है।
गौरतलब है कि देश में इस समय कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सात टीके विकसित किये जा रहे हैं जिनमें से ‘Covaxin’ और जायडस कैडिला की जाइकोव डी को ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट, पैनेशिया बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिक्स, मायनवैक्स, बायोलॉजिकल ई भी कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में शामिल हैं।