रायपुर। इस साल का रक्षाबंधन चीन को चार हजार करोड़ का झटका देने वाली है। व्यापारिक समूहों के साथ ही आम उपभोक्ताओं द्वारा चीनी उत्पादों के प्रति बहिष्कार रंग लाने लगा है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स द्वारा तो महिला स्व सहायता समूहों द्वारा भी राखियां बनवाई जा रही है। कैट द्वारा चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’भी चलाया जा रहा है। चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए नईदुनिया द्वारा चलाई गई मुहिम से अब कैट भी जुड़ चुका है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने बताया कि राखी के इस त्योहार में बहनें भारतीय राखी का इस्तेमाल करते हुए चीन को लगभग चार हजार करोड़ रुपये के व्यापार का घाटा पहुंचाएगी। एक अनुमान के अनुसार देशभर में राखी के त्योहार पर करीब छह हजार करोड़ की राखियों का व्यापार होता है जिसमें अकेले चीन की हिस्सेदारी करीब चार हजार करोड़ होती है
राखी पर चीन से जहां बनी हुई राखियां आती हैं वहीं दूसरी ओर राखी बनाने का सामान जैसे फोम, कागज की पन्नी, राखी धागा, मोती, बूंदे, राखी के ऊपर लगने वाला सजावटी सामान आदि भी चीन से आयात होता है। लेकिन इसके उलट इस साल चीनी उत्पादों के बहिष्कार अभियान के चलते छत्तीसगढ़ सहित देश भर में कैट के व्यापारी नेता तथा महिला उद्यमी आंगनबाड़ी तथा घरों में काम करने वाली एवं कच्ची बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से हाथ की बनी राखियां बनवा रही हैं।
वही 10 राखी के एक पैकेट के साथ रोली एवं चावल भी रख रहीं हैं और मिठाई के तौर पर एक पैकेट में मिश्री भी रखी जा रही है और एक बहुत सुंदर राखी थाल भी बनाया गया है। इसके चलते बाजारों में भी हिन्दुस्तानी राखियां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कारोबारी भी अपने स्टॉफ से ही राखियां बनवा रहे है।
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
अमर पारवानी ने कहा की राखियां बनवाने के इस काम से जहां महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो रहा है वहीं राखी बनाने की उनकी कला भी सामने आ रही है। कैट ने अपनी इस पहल को अंजाम देते हुए दिल्ली के अलावा नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, गुवाहाटी, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर, जम्मू, बैंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, पांडिचेरी, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी, झांसी, इलाहाबाद आदि शहरों में राखियां बनवाकर व्यापारियों को वितरित करने का काम शुरू कर दिया है।