रायपुर। गोधन न्याय योजना, गोबर संग्रहण, खरीदी सहित इस योजना से जुडे अन्य पहलुओं पर भले ही प्रदेश में सियासी ड्रामा चल रहा है, विपक्ष सरकार की इस योजना को लेकर तंज कस रही हो, सरकार की सोच का मजाक उड़ा रही हो। लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा विपरीत है। यदि इस बारे में किसानों से उनकी राय जानने की कोशिश की जाए, गौपालकों से पूछा जाए तो सच्चाई सामने आती है कि वास्तव में जिस गोधन को महज गोबर मानकर बर्बाद कर दिया जाता था, सही मायने में वह कितना उपयोगी है।
प्रदेश में कई बड़े किसान हैं, जो अपने खेतों में केवल वर्मी कम्पोस्ट का ही उपयोग करते हैं, वे रासायनिक खादों का उपयोग अनाज उत्पादन के लिए नहीं करना चाहते, जिसके लिए उन्हें काफी मेहनत भी करनी पड़ती थी। लेकिन अब प्रदेश में इन गोबरों के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाएगा और राज्य में रासायनिक खादों के इस्तेमाल में स्वतः ही कमी आने लगेगी। इससे ना केवल अनाज उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि रासायनिक उपज से भी प्रदेश को मुक्ति मिलेगी।
किसानों का मानना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ना केवल सरकार संभाली है, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को नया जीवनदान दिया है। प्रदेश की युवा पीढ़ी छत्तीसगढ़ की सभ्यता और संस्कृति को लांघकर आगे निकल रही थी, जिसे मुख्यमंत्री ने सरकारी योजनाओं में तब्दील कर उसे नया स्वरूप प्रदान कर दिया है। जिस गोबर को बर्बाद कर दिया जाता था, अब वही दो रुपए किलो बिकेगा, इससे जहां गोपालक सतर्कता बरतेंगे, तो दूसरी तरफ गोवंश की रक्षा भी होगी।
किसान मानते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक पंथ और कई काज को किया है, इसके लिए युवा किसानों ने भी उनके प्रति आभार व्यक्त किया है। गोपालकों का कहना है कि सरकार की इस योजना से उन्हें आर्थिक दृष्टिकोण से फायदा मिलेगा। इसके बाद जब वर्मी कम्पोस्ट बन जाएगा, तो फसल उत्पादन में भी मदद मिलेगी।