गुना। जिला अस्पताल में अपने बीमार पति को इलाज के लिए लाई पत्नी की गुहार किसी ने नहीं सुनी, अंततः उसकी आंखों के सामने पति ने दम तोड़ दिया, वह भी महज एक कागज के लिए, जिसकी खानापूर्ति उपचार शुरू करने के बाद भी की जा सकती थी। इधर सिविल सर्जन डॉ. एसके श्रीवास्तव का कहना है कि महिला अस्पताल के काउंटर पर ही नहीं पहुंची, वह बाहर की बैठी रही। पति टीबी का मरीज था और उसे कई अन्य समस्याएं भी थीं।
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था पर इस घटना ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला गुना जिले के जिला अस्पताल का है। यहां एक पत्नी अपने ढाई साल के बच्चे के साथ बीमार पति को 12 घंटे तक तड़पते देखती रही, और आसपास के लोगों से मदद की गुहार लगाती रही। लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। आखिरकार उसके पति की जान चली गई। महिला अशोकनगर से गुना जिला अस्पताल अपने पति का इलाज कराने आई थी। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि मृतक की पत्नी पर्चा बनवाने के लिए काउंटर पर नहीं आई।
अशोकनगर की शंकर काॅलोनी की रहने वाली आरती रजक अपने पति सुनील धाकड़ को लेकर बुधवार शाम 6 बजे जिला अस्पताल लेकर आई थी। महिला ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं थे। पति को जिला अस्पताल लेकर आई, इसके बाद सामने ही स्थित एक पेड़ के नीचे लिटा दिया। उसके साथ ढाई साल का बच्चा भी था। वह काउंटर पर पहुंची तो वहां बैठे युवक ने कहा कि पर्चा बनेगा, इसके लिए पैसे लगेंगे, तो वह बैठ गई। महिला के मुताबिक वह गुरुवार सुबह फिर काउंटर पर पहुंची तो फिर से पर्चा नहीं बनाया गया। उसे यह कहकर चलता कर दिया कि बाहर वाला काउंटर खुलेगा तब पर्चा बनेगा। जीते जी तो उसे स्ट्रेचर नहीं मिला पर मरने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को स्ट्रेचर पर रख दिया। कलेक्टर ने इस पूरे मामले में 24 घंटे में जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन से तलब की है।