Throwing Rice Ritual : हिंदू परंपरा में शादी के बाद डोली में बैठने से पहले दुल्हन यह रस्म करती है. इसमें बिना पीछे देखे दुल्हन को पांच बार चावल फेंकने होते हैं. चावल का इस रस्म में उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसको धन का प्रतीक माना जाता है. हिंदू मान्यताओं में चावल का इस्तेमाल सभी धार्मिक कार्यों में होता है। परंपराओं के मुताबिक, चावल फेंकने की रस्म को प्रार्थना का प्रतीक माना जाता है. इसका मतलब है कि भले ही लड़की का विवाह हो गया है लेकिन फिर भी वह अपने घरवालों के लिए प्रार्थना करती रहेगी। हिंदू धर्म में चावल को पवित्र और शुभ माना गया है. मायके वालों को बुरी नजर से बचाने के लिए दुल्हन यह रस्म करती है. सनातन धर्म में जन्म से ही कई सारे संस्कार और परंपराएं आरंभ हो जाती है जिनका पालन व्यक्ति को करना होता है विवाह भी इन्हीं संस्कारों में से एक है जो व्यक्ति को युवा अवस्था में निभाना होता है हमारे देश में शादी विवाह बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इस दौरान कई सारी रस्म और रिवाजों को भी निभाया जाता है जिसमें हल्दी, मेंहदी से लेकर कन्यादान और न जाने कितनी ही परंपराएं और रिवाज शामिल होते है।
इन सभी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है वही लड़की की शादी में विदाई का भी एक समय होता है जो हर किसी के लिए बहुत भावुक करने वाला होता है और इस दौरान लड़कियों द्वारा चावल फेंकने की रस्म अदा की जाती है जिसे बहुत ही खास माना जाता है लेकिन बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि विदाई के दौरान ये रस्म क्यों निभाई जाती है अगर आप भी इस रस्म की अहमियत नहीं जानते है तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
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कई शादी-समारोह में विदाई के समय आपने भी दुल्हन को चावल पीछे फेंकते देखा होगा. इस दौरान वह अपनी परिवार के लिए सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती है। इस रस्म का एक मतलब यह भी है कि दुल्हन अपने माता-पिता का धन्यवाद करती है. वह इसलिए क्योंकि माता-पिता ही हैं, जो अपनी औलाद के लिए सबकुछ करते हैं। चावल खाने में भी इस्तेमाल होता है. लिहाजा मायके में कभी अन्न की कमी न हो और धनधान्य यू ही बना रहे इसलिए दुल्हन चावल अपने परिवारवालों पर फेंकती है।
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धार्मिक परंपराओं के अनुसार चावल फेंकने की इस रस्म को प्रार्थना का प्रतीक भी माना जाता है इसका अर्थ होता है कि भले ही कन्या का विवाह हो गया है लेकिन फिर भी वह अपने घरवालों के लिए प्रार्थना करती रहेगी कि उसका घर सुख समृद्धि और धन से हमेशा भरा रहे। ऐसा भी कहते है कि इस रस्म की अदाएगी मायके वालों को बुरी नजर से बचाती है। इस पवित्र रस्म का एक अर्थ यह भी होता है कि दुल्हन अपने माता पिता का धन्यवाद करती है वह इसलिए क्योंकि माता पिता ही है जो अपने बच्चों के लिए सबकुछ करते है ऐसा भी मान्यता है कि इस रस्म को करने से मायके में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है।