सक्ती। CG NEWS : नवीन जिला अस्तित्व में आने के बाद पहली बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर मुख्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जो नगरवासियों की इच्छा के विरूद्ध जेठा के कलेक्ट्रेट मैदान में आयोजित होगा। इस समारोह को लेकर नगर में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों का यह मानना है कि सक्ती में आयोजन नहीं हो कर जेठा में आयोजन किया जाना सक्ती नगर की जनता के साथ अन्याय है। यह समारोह प्रशासनिक हठधर्मिता राजनेताओं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की भेंट चढ़ चुका है। नगरवासियों को निराशा हाथ लगी है। चर्चा इस बात की हो रही है कि जिस प्रकार अस्थाई कार्यालय जेठा बनाया गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब हर प्रकार के कार्यक्रमो के आयोजन जेठा में ही होंगे। 1 नवंबर को मनाया जाने वाला राज्य उत्सव भी जेठा में मनाया गया था। फलस्वरूप नगर की जनता का राज्योत्सव पंडित दीनदयाल उपाध्याय में हो धरा का धरा रह गया। जिला बनने के बाद कई ऐसे वाक्य हुए जिसने यह साबित किया कि प्रशासन भी सक्ती में किसी प्रशासनिक, राजकीय आयोजन को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। यही हाल नेताओं का दिख रहा है क्योंकि ना तो कांग्रेस के नेता सक्ती में आयोजन को लेकर जूझते हुए दिखाई देते हैं और ना ही भारतीय जनता पार्टी के नेता इस और कुछ ध्यान दे रहे हैं।
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जनता की अनदेखी कहीं भारी ना पड़ जाए-
ज्ञात हो कि जनभावनाओं को प्रशासन, अधिकारियों एवं नेताओं तक पहुंचने के लिए पत्रकार आगे आए कलेक्टर से जनभावनाओं का मान रखने का आग्रह और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत को ज्ञापन सौंपा। लेकिन इसका कोई भी सार्थक परिणाम देखने को नहीं मिला। लगातार सत्ताधारी दल और प्रशासन के प्रति नगर वासियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। कहीं इसका सीधा असर विधानसभा चुनाव में देखने को ना मिल जाए। एक और सत्ताधारी दल सक्ती को जिला बनाए जाने के बाद इसे अपने सबसे बड़े प्लस प्वाइंट के रूप में देख रहा है लेकिन जिला बनने के बाद से जब मुख्यालय जेठा गया है तो सक्ती तथा आसपास के क्षेत्र में गहरी नाराजगी बढ़ी है। अब लगातार कार्यक्रमों का नगर से बाहर होना भी क्षेत्र की जनता में नाराजगी को बढ़ा रहा है। प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों की जनता की मांग को इस कदर दरकिनार करना कई सवाल खड़े करता है। कहीं जनता की भावनाओं का ख्याल ना रखना विपक्षी दल तथा सत्ताधारी दल को चुनाव नतीजे में भारी पड़ सकता है।