बिलासपुर। बिलासपुर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने भ्रष्ट पटवारी विनोद तंबोली को 5 साल चले ट्रायल के बाद 5 साल सश्रम कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है। पटवारी के ऊपर एसीबी ने 2014 में कार्यवाही करते हुए रेड की थी और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। जिसमें आरोपी 4 माह 9 दिन जेल में भी रहा था, और फिलहाल जमानत पर बाहर है। जुर्माना न पटाने पर डेढ़ वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतने की सजा दी गई है।
2014 में पटवारी विनोद तंबोली तिफरा में पदस्थ थे। इस दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके आवास में छापेमारी कर उनके स्वयं के नाम, उनकी पत्नी पुष्पा तंबोली, बेटी आभा तंबोली, अचला तंबोली व बेटे अभिषेक के नाम से करोड़ों की संपत्ति होने का खुलासा किया था। जिसमें भारतीय नगर में एक आलीशान दो मंजिला मकान, भारतीय नगर में ही 6 आवासीय प्लाट, धौराभाठा में 14 एकड़ का फार्म हाउस, विभिन्न बैंकों में जमा लाखों की रकम, 1 किलो सोना व साढे चार 4 किलो चांदी के जेवर,जीवन बीमा व किसान विकास पत्र में इन्वेस्ट की गई राशि के अलावा कार बाइक समेत विलासिता के कई सामान मिले थे। एसीबी ने कुल 6 करोड़ की अनुपातहिन संपत्ति का मामला बनाया था।
4 अगस्त 2017 को एसीबी ने पटवारी विनोद तंबोली को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया था। पटवारी विनोद 13 दिसंबर 2017 तक जेल में रहा था, फिर उसे जमानत मिल गई। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत में तब से मामले का ट्रायल चल रहा था। जिसमें 17 फरवरी को विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार जायसवाल ने आरोपी पटवारी को सजा सुनाई है।
ट्रायल के दौरान अदालत ने पाया कि विनोद तंबोली पटवारी के पद पर विभिन्न स्थानों पर पदस्थ होकर कार्यरत होते हुए भ्रष्टाचार कर अपने परिवार के नाम पर अनुपातहिन संपत्ति बनाया। एसीबी द्वारा पेश चालान में से वह कुल 1 करोड़ 14 लाख 50 हजार 530 रुपये की संपत्ति का कोई समाधानकार जवाब पेश नही कर पाया। पटवारी विनोद तंबोली ने अवैध स्त्रोतों के द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर अपने कब्जे में रखने और उसका समाधान पर लेखा-जोखा मांगे जाने पर प्रस्तुत नहीं कर आपराधिक अवचार कारित करने,धारा 13 (1) (ई), सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत घोर अपराध कारित किया है। जिसके चलते उसे 5 वर्ष सश्रम कारावास व 4 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है ।