सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है. इस मामले को खारिज करते समय सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है।
शादी की उम्र लड़कों के बराबर 21 साल करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि ये कानून में संशोधन करने का मामला है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में संसद को कानून लाने के लिए आदेश नहीं दे सकता है. अगर सुप्रीम कोर्ट शादी के लिए कम से कम 18 साल की उम्र के नियम को रद्द कर देता है, तो फिर शादी( marriage) के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका दायर करने वाले बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है।
विवाह की 18 साल की न्यूनतम उम्र सीमा भेदभाव करने वाली
सुप्रीम कोर्ट( supreme court) ने इस याचिका को 13 जनवरी को अपने पास मंगा लिया था. इस याचिका में ये कहा गया था कि लड़कियों के विवाह की 18 साल की न्यूनतम उम्र सीमा भेदभाव करने वाली है. जबकि देश में पुरुषों की शादी करने की न्यूनतम उम्र 21 साल है. याचिका दायर करने वाले ने कहा था कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत हासिल समानता के अधिकार से संबंधित मुद्दा है।