रायपुर न्यूज़। आज कांग्रेस के महाधिवेशन के दूसरे दिन तमाम बड़े नेताओ का सम्बोधन हुआ। सबसे अहम सम्बोधन पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का रहा। अपने भाषण में उन्होंने जहां केंद्र की भाजपा सरकार की नाकामियों को सामने रखा तो दूसरी तरफ भारत के लिए कांग्रेस की जिम्मेदारियों पर भी बातें कही। उन्होंने पार्टी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए देश के लिए कांग्रेस की अहमियत को बताया। इसके अलावा सोनिया गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सफलता से गदगद नजर आई. उन्होंने मंच से ही इसके लिए बेटे राहुल गाँधी की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी।
लेकिन इन सबसे अलग फ़िलहाल उनके भाषण के उस अंश की चर्चा हो रही हैं जिसमे उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी को विराम देने यानी सियासत से संन्यास की तरफ इशारा किया हैं। उन्होंने कहा 1998 में जब मैं पहली बार पार्टी अध्यक्ष बनी तब से लेकर आज तक यानी पिछले 25 सालों में बहुत कुछ अच्छा और कुछ बुरा अनुभव भी रहा।
2004 और 2009 में पार्टी का परफॉर्मेंस हो या फिर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का मेरा निर्णय। यह व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए संतोषजनक रहा। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं का मुझे पूरा सहयोग मिला। जिस बात से मुझे सबसे ज्यादा संतुष्टि है, वह ये कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ अब मेरी पारी समाप्त हो सकती है। ये पार्टी के लिए एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है।
सोनिया गांधी के सम्बोधन के इसी अंश के अब अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी अब सक्रिय राजनीती से संन्यास लेने वाली हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि लम्बे वक़्त के बाद किसी गैर गांधी के हाथ में पार्टी की बागडोर भी सौंप दी गई हैं। सोनिया गांधी वैसे भी सियासी तौर पर कम ही सक्रिय दिखाई देती हैं। इस अधिवेशन से पहले उन्होंने राहुल गांधी के साथ ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में एक दिन के लिए शिरकत की थी। वह अब सार्वजनिक कार्यक्रमों से भी दूर रहती हैं। देखा जाएँ तो कभी कांग्रेस की केंद्र बिंदु रही सोनिया गांधी के बाद अब कांग्रेस की धुरी राहुल गाँधी और अब कुछ हद तक राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इर्दगिर्द घूमती नजर आती हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि सोनिया गाँधी राजनीती से खुद को दूर कर लेंगी हालाँकि इन कयासों को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह यादव ने विराम दे दिया हैं।