नई दिल्ली। Indian Army ending legacy practices : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर भारतीय सेना ने अपनी कई पुरानी परंपराओं को खत्म करने का फैसला लिया है। इसमें कई ऐसी प्रथा हैं, जो ब्रिटिश राज से ही चलती आ रही है। वहीं कुछ प्रथाओं के नाम बदलेंगे जाएंगे। सरकार के निर्देश के पालन करते हुए जनरल मनोज पांडे के नेतृत्व में कार्यक्रमों के दौरान घोड़े से चलने वाली बग्घियों के इस्तेमाल को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा सेवानिवृति पर पुलिंग आउट सेरेमनी और डिनर के दौरान पाइपर्स के उपयोग को भी खत्म करने का निर्णय लिया है। जो अंग्रेजों के जमाने चलती आ रहीं हैं। जैसे सेना के सार्वजनिक कार्यक्रमों में घोड़े से चलने वाली बग्घियों का इस्तेमाल करना, सेना के अफसर के सेवानिवृत्ति पर पुलिंग आउट सेरेमनी और डिनर के दौरान पाइप बैंड का उपयोग। अब ये सब खत्म कर दिया गया है। इस संबंध में भारतीय सेना ने अपनी यूनिट्स को आदेश जारी कर दिया है।
कई और परंपराओं, नाम को बदलने की तैयारी
सेना कई और तरह की पुरानी परंपराओं और नामों को बदलने पर विचार कर रही है। सरकार के निर्देशों के अनुसार भारतीय सेना औपनिवेशिक और पूर्व-औपनिवेशिक युग से चली आ रही रीति-रिवाजों और परंपराओं, वर्दी और सामान, विनियमों, कानूनों, नियमों, नीतियों, इकाई स्थापना, औपनिवेशिक अतीत के संस्थानों की विरासत प्रथाओं की भी समीक्षा कर रही है। कुछ यूनिट्स के अंग्रेजी नामों, भवनों, प्रतिष्ठानों, सड़कों, पार्कों, औचिनलेक या किचनर हाउस जैसी संस्थाओं के नाम बदलने की भी समीक्षा की जा रही है।