IIT संस्थानों में स्टूडेंट्स ( students) सुसाइड की बढ़ती घटनाओं को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपना दर्द साझा किया है। उन्होंने कहा, ‘इन घटनाओं के बारे में सोचकर चिंता होती है। उन बच्चों के पेरेंट्स के बारे में सोचता हूं तो दिल दुखता है।’
शनिवार को हैदराबाद में नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) के कनवोकेशन में IIT बॉम्बे में दलित छात्र की आत्महत्या ( suicide) घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए कोर्ट के अंदर और बाहर सार्थक चर्चा करने में जजों की अहम भूमिका है।
छात्रों के मन में प्यार और करुणा का भाव जगाए,
उन्होंने कहा, ‘न सिर्फ एजुकेशन करिकुलम ऐसा होना चाहिए जो छात्रों के मन में प्यार और करुणा का भाव जगाए, बल्कि शिक्षकों को भी छात्रों की परेशानियों को लेकर संवेदनशील होना चाहिए। मुझे लगता है कि भेदभाव का सारा मसला सीधे तौर पर शिक्षण संस्थानों में संवेदना और करुणा की कमी से जुड़ा हुआ है।
दलित छात्र के सुसाइड( suicide) की खबर पढ़ी
CJI बोले, ‘हाल ही में मैंने दलित छात्र के सुसाइड की खबर पढ़ी थी। इस हादसे से मुझे ओडिशा(odisha) साल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आदिवासी स्टूडेंट के सुसाइड की खबर याद आ गई। मेरा दिल इन छात्रों के परिवार के बारे में सोचकर दुखता है। लेकिन मुझे हैरानी ये सोचकर होती है कि आखिर हमारे संस्थान कहां गलती कर रहे हैं कि छात्रों को अपनी कीमती जान गंवानी पड़ रही है।