वैसे तो भारत में हर रोज कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है लेकिन आजकल यहां पर भी वेस्टर्न कल्चर के त्योहार या हम यह कहें कि वेस्टर्न डेज काफी ज्यादा फेमस हो गए हैं जैसे कि वैलेंटाइन डे, प्रपोज डे और फादर्स डे उसी तरह से ही एक दिन दोस्ती के नाम किया जाता है जिसको फ्रेंडशिप डे के नाम से जानते हैं। यह दिन अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है। इस बार फ्रेंडशिप डे अगस्त की 2 तारीख को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आपने सोचा है कभी कि फ्रेंडशिप डे आखिर क्यों मनाया जाता है? इस दिन को मनाने के पीछे क्या कहानी है? क्या इसका इतिहास है? इसीलिए आज हम आपको बताएंगे कि फ्रेंडशिप डे क्यों मनाया जाता है, किस लिए यह जरूरी है और इसका क्या इतिहास है।
फ्रेंडशिप डे का इतिहास
दरअसल फ्रेंडशिप डे की शुरुआत साल 1935 में अमेरिका में हुई थी। कई खबरों के मुताबिक कहा जाता है कि अमेरिका में कई साल पहले अगस्त के पहले रविवार के दिन अमेरिकी सरकार ने एक व्यक्ति को मार दिया था। उसके बाद उस व्यक्ति का दोस्त सदमे में चला गया था और वह अपने दोस्त से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाया था और उसने आत्महत्या कर ली थी। जिस व्यक्ति ने आत्महत्या की थी उसने पूरे अमेरिका और पूरे विश्व में दोस्ती और सच्ची मित्रता के प्रति बहुत ही गहरी छाप छोड़ दी थी। जिसके बाद अमेरिकी सरकार ने अगस्त महीने के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
इस बार मनाये वर्चुअल फ्रेंडशिप डे
आपने कभी नहीं सोचा होगा कि ऐसा वक्त भी होगा जब दोस्तों से भी मिलने-जुलने पर ऐसी आफत आएगी। पर कहते हैं न मुश्किलें हैं तो रास्ते भी हैं और यह रास्ता भी अनजाना नहीं। क्यों न इस बार कुछ नई पहल करते हुए इस बार आज फ्रेंडशिप डे (2 अगस्त) को वर्चुअल सेलिब्रेशन के नाम करें!
दोस्ती में जो तेरा है, वह मेरा है, जो मेरा है वो तेरा… की तर्ज पर रिश्ता निभाया जाता है, लेकिन कभी-कभी कुछ बातों के कारण दोस्तों में गंभीर गलतफहमियां भी प्यार भरे रिश्तों में दरार डाल देती हैं। इसलिए एक-दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें और एक-दूसरे की बातों को महत्व दें।
इन मामलों में हो जाती है गलतफहमियां
पैसो के लेन-देन के कारण किसी भी रिश्ते में दरार आना आम बात है। फिर दोस्ती जैसा कोमल रिश्ता इससे कैसे बच सकता है। इससे दोस्तों के बीच सामान्य तालमेल और सहजता खत्म हो जाती है और रिश्ते बिगड़ने लगते हैं।
क्या करें– ऐसे मे जहां तक हो सकें आर्थिक मामलों को दोस्ती से दूर ही रखें। अगर दोस्तों से पैसे उधार लिए हो, तो उसे समय पर लौटा दें। हिसाब-किताब साफ रखें। खर्च करने के मामले में बराबरी पर ध्यान दें।
प्रोफेशनल मामले– यह समस्या तब आती है, जब दो दोस्त एक ही प्रोफेशन में हों या एक ही स्थान पर काम करते हों। ऐसे में आगे बढ़ने की इच्छा, प्रतिस्पर्धा की भावना होना स्वाभाविक है। लेकिन यह भावना दोस्तों के बीच ईर्ष्या को जन्म दे सकती है, जिससे दोस्ती में दरार आने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या करें– ऐसी स्थिति में कोशिश करें, कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाईफ को अलग रखें। एक दूसरे से कुछ छुपाने की कोशिश न करें, और हर बात साफ करें। ऑफिस की बातों को वहीं तक सीमित रखें।
एक-दूसरे पर निर्भरता– अक्सर हम अपने छोटे-छोटे काम दोस्तों को बोलकर करवा लेते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें, कि हर काम के लिए दोस्तों पर निर्भरता ठीक नहीं है। ऐसा करने से आप दोस्त पर बोझ बन सकते हैं। शायद वह आपको यह बात नहीं कह पाए, लेकिन यह भावना आपके रिश्ते में दीमक की तरह कार्य करती है।
क्या करें– हमेशा ध्यान रखें, कि दोस्तों पर निर्भरता की एक सीमा है। हो सकता है कि उनकी निजी जिंदगी और काम आपके कारण प्रभावित हो रहे हों। इसीलिए उस पर बोझ न बनें, कोशिश करें कि अपना कार्य स्वयं करें।
विश्वासघात– कभी-कभी जानबूझकर, मस्ती में या परिस्थितिवश हम अपने दोस्तों की पर्सनल बातों के दूसरों के सामने उजागर कर देते हैं, या फिर बगैर उसकी जानकारी के उसके विश्वास को तोड़ने वाला कोई कार्य कर देते हैं। यह बातें आगे चलकर दोस्ती में दरार पैदा कर देती है और कभी-कभी दोस्तों से उम्रभर की दूरी पैदा कर देती हैं।
अनदेखा करना– कई बार हम ग्रुप में या अन्य दोस्तों के कारण उन दोस्तों को अनदेखा कर देते हैं, जो आपसे दिल से जुड़े होते हैं। ऐसे में आपका अनदेखा करना, उनकर दिल दुखा सकता है।
क्या करें– दोस्तों को कभी अनदेखा न करें। वे आपसे भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, इसीलिए आपके दोस्त हैं। उनकी अहमियत को समझें, और गलती का एहसास होने पर उनसे माफी जरूर मांगें।
परिवार और दोस्ती– कई बार हम अपनी दोस्ती और परिवार या फिर रिश्तेदारी के बीच संतुलन नहीं बना पाते। ऐसे में दोस्तों को ज्यादा समय देना परिवार की शिकायत का कारण बनता है, और दोस्तों को समय न देने पर उनकी भी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
क्या करें– ऐसे में हमारी छोटी लापरवाहियां कई बार रिश्तों को तनावपूर्ण बना देती है। ऐसे में दोनों के बीच हमेशा संतुलन बनाएं रखें। हर रिश्ते की अपनी अहमियत है। किसी को भी नजरअंदाज न करें और दोनों को पर्याप्त समय दें।