निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक अब प्रधानमंत्री (PM), लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI मिलकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की बेंच ने 5-0 की सर्वसम्मति से दिए फैसले में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चुनाव तीन सदस्यीय समिति की सलाह पर राष्ट्रपति करेंगे. न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है, यह नियम तब तक जारी रहेगा जब तक संसद इन नियुक्तियों के लिए कानून नहीं बनाती।
चुनाव प्रक्रिया ( election process) बनाए रखी जानी चाहिए
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की स्पष्टता बनाए रखी जानी चाहिए. नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी बहुत महीन तरीके से लोगों की ताकत से जुड़ी है. इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है. हमें अपने दिमाग में एक ठोस और उदार डेमोक्रेसी का हॉलमार्क लेकर चलना होगा. वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं।
सीजेआई( CJI) की एक समिति की सलाह पर जाएगी
जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पीएम और LS में विपक्ष के नेता (या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता), और सीजेआई की एक समिति की सलाह पर की जाएगी. यह नियुक्ति प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी जब तक संसद द्वारा कानून नहीं बना दिया जाता।
एक नौकर आयोग के माध्यम से…’ – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “आर्टिकल 324 एक यूनिक बैकग्राउंड है. अलग-अलग रंग के राजनीतिक दलों ने एक कानून पेश नहीं किया है. एक कानून मौजूदा कार्यपालिका की नियुक्तियों में पूर्ण अधिकार होने का स्थायीकरण नहीं हो सकता है. इसमें एक कमी है, जो कि याचिकाकर्ताओं ने पॉइंटआउट किया है. राजनीतिक दलों के पास कानून की तलाश न करने का एक कारण होगा, जो देखने में स्पष्ट है।