उज्जैनः देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ का अपना एक अलग महत्व है. महाकाल मंदिर दक्षिण मुखी होने से भी इस मंदिर का अधिक महत्व है. महाकाल मंदिर विश्व का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां दक्षिणमुखी शिवलिंग प्रतिष्ठापित है.
महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है. महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है. महाकाल मंदिर की अनादी काल से उत्तपत्ति मानी गई है. मान्यता है कि महाकाल मंदिर में शिव लिंग स्वयंभू हैं. महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. मान्यता है की भगवान महाकाल काल को हर लेते हैं. महाकाल मंदिर में सामान्यतह चार आरती होती है, जिसमें से अल सुबह होने वाली भस्म आरती के लिए श्रद्धालु दूर दूर से उज्जैन पंहुचते हैं.
महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है. महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है. महाकाल मंदिर की अनादी काल से उत्तपत्ति मानी गई है. मान्यता है कि महाकाल मंदिर में शिव लिंग स्वयंभू हैं. महाकाल को कालों का काल भी कहा जाता है. मान्यता है की भगवान महाकाल काल को हर लेते हैं. महाकाल मंदिर में सामान्यतह चार आरती होती है, जिसमें से अल सुबह होने वाली भस्म आरती के लिए श्रद्धालु दूर दूर से उज्जैन पंहुचते हैं.
मान्यता है कि उज्जैन शहर में एक ही राजा हो सकता है और वो राजा हैं महाकाल. दरअसल, परंपरा के अनुसार उज्जैन में कोई भी राजा रात नहीं रुक सकता है, ये किवंद्तिया है की कोई राजा रात रुकेगा तो उसकी मौत हो जायेगी. इस के चलते उज्जैन में मुख्यमंत्री भी रात नहीं गुजारते हैं. हालांकि ये मान्यता भी है कि अगर रात गुजराना ही पड़े ते शहर से 15 किमी बाहर गुजार सकते हैं. वहीं महाकाल से जुड़ी एक और कहानी है कि बारह साल में एक बार लगने वाले सिंहस्थ में जो भी सरकार के कार्यकाल में होता है वो सरकार अगले चुनाव में हार जाती है.
महाकाल मंदिर में हर साल आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए कई काम किए जा रहे हैं. शुद्ध पानी और वाटर एटीएम भी लगाया गया है. इसके आलावा दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त में भोजन भी रखा गया है. जो कि श्रद्धालू अपने-अपने समय अनुसार ले सकते हैं.