रायपुर। किसी भी विषय की कक्षाएं यदि लंबी हो तो बच्चे बोर होकर आपस में बात करने लगते हैं। इससे उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। बच्चों के मध्य संवाद कम से कम हो और उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके, इसके लिए पीरियड की अवधि कम की जा सकती है। अब तक एक कक्षा की अवधि 40 मिनट की होती है। काेरोना संक्रमण तक इसे घटाकर 30 मिनट करने सुझाव दिया गया है। इसके पीछे तर्क है कि कक्षाएं छोटी होने के कारण बच्चे बाेर नहीं होंगे।
उनका पूरा ध्यान पढ़ाई जा रही चीजों पर होगा और वे आपस में कम बात करेंगे। इससे उनके बीच दूरी बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा स्कूल लगने के वक्त को भी घटाया जा सकता है। कुछ दिनाें पूर्व उच्च स्तर पर विभिन्न विभागों से कोरोना संक्रमण के दौरान कक्षाएं शुरू करने को लेकर विचार मांगे गए थे। सभी विभागों द्वारा सुझाव भेजे गए हैं। इसके अंतर्गत ही जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा कक्षाओं की अवधि छोटी करने प्रस्ताव दिया गया है। स्कूल लगने के वक्त को यदि घटाया जाता है तो काेर्स पूर्ण ना होने पर स्थिति सामान्य होने के बाद अतिरिक्त कक्षाएं भी लगाई जा सकती हैं। इस तरह के कई बिंदु सुझाव में शामिल हैं।
अब तक कुछ निर्धारण नहीं: जून अंत तक यह संभावना व्यक्त की जा रही थी कि स्कूली छात्रों की कक्षाएं अगस्त से प्रारंभ की जा सकती हैं। लेकिन राजधानी सहित कई जिलों में संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच इस पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। इन सबके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग, जिला शिक्षा कार्यालय और संबंधित विभाग द्वारा अपने स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं, ताकि जब कक्षाएं शुरू की जाएं तो छात्रों को पूर्व निर्धारित योजनाओं के मुताबिक पढ़ाया जा सके।
जिन स्कूलों में प्रवासी मजदूरों को ठहराया गया था, उन्हें सेनेटाजइ करने भी निर्देश दिए गए थे। शाला प्रारंभ होने के पूर्व सभी तरह की सुरक्षा विभाग सुनिश्चित करना चाहता है। सुझाव भेजा है अपने स्तर पर हम तैयारी कर रहे हैं। बच्चों काे संक्रमण से बचाने सुझाव भेजे गए हैं। बच्चों का स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता है।