रायपुर। राजस्थान विधानसभा में पारित राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में छत्तीसगढ़ का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर ब्रांच भी सामने आ गया है। निजी अस्पताल के चिकित्सकों का तर्क है कि यह प्रस्ताव मरीज और डाक्टरों के आपसी विश्वास को कमजोर करेगा। जिसके लिए राजस्थान सरकार को एक लेटर जारी किया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर ब्रांच के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता एवं महासचिव अतुल सिंघानिया ने कहा कि राजस्थान सरकार जब पहले ही चिरंजीवी योजना के अंतर्गत प्रदेशवासियों के इलाज के लिए 25 लाख रुपए तक का बीमा घोषित कर चुकी है, तब इस प्रकार के राइट टू हेल्थ बिल का कोई औचित्य नहीं रह जाता। चिरंजीवी योजना के अंतर्गत प्रदेश के अधिकतर अस्पताल पहले से ही सेवाएं दे रहे हैं। राजस्थान में 65% से अधिक सामान्य मरीजों और 85% से अधिक गंभीर मरीजों को प्राइवेट सेक्टर द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं। ऐसे में राजस्थान में लागू किया गया राइट टू हेल्थ बिल एकतरफा और अप्रासंगिक है, जिसे बिना किसी पारदर्शिता के और बिना निजी अस्पताल संचालकों से सामंजस्य बनाये पारित किया गया है।
राइट टू हेल्थ में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि चिकित्सकीय आपातकाल में मरीज की स्थिति स्थायित्व में आते तक उसके इलाज का खर्च कौन उठाएगा। ऐसी स्थिति में अस्पतालों को आर्थिक हानि और मरीजों से टकराव की आशंका हमेशा बनी रहेगी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि एएचपीआई अब राजस्थान के राज्यपाल से मिलकर अनुरोध करेगा। इसके साथ ही मरीजों के हित को देखते हुए, जब तक समस्याओं का हल नहीं होता, तब तक इस बिल पर अपने हस्ताक्षर न करें।