नई दिल्ली: Manish Sisodia : दिल्ली के आबकारी नीति केस में जेल में बंद पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को निचली अदालत ने बड़ा झटका दिया है. दिल्ली की विशेष CBI अदालत ने इस केस में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है. अदालत के फैसले के खिलाफ मनीष सिसोदिया दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेंगे. सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 5 अप्रैल को खत्म हो रही है.
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CBI की दलील से पहले मनीष सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट में कहा था कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का मकसद पूरा नहीं होगा. इस मामलें में सभी रिकवरी पहले ही की जा चुकी हैं. सिसोदिया ने कहा था, ‘मैंने, सीबीआई की जांच में पूरा सहयोग किया. उन्होंने जब बुलाया, उनके पास हाजिर हुआ.’
उन्होंने अपनी जमानत याचिका में इस बात का हवाला भी दिया था कि पब्लिक लाइफ में एक्टिव होने की वजह से समाज में उनकी गहरी जड़ें हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए वह जमानत पाने के हकदार हैं.
वहीं, सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने पिछले सप्ताह मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है, तो वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उनका प्रभाव और हस्तक्षेप बड़े पैमाने पर है. सीबीआई ने दावा किया था कि सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने फोन इसलिए तोड़ दिए थे, क्योंकि वो अपग्रेड करना चाहते थे, जो वो बता रहे हैं वो सच नहीं है. हकीकत यह है कि उन्होंने चैट को खत्म करने के लिए ऐसा किया. ऐसे में उन्हें जमानत मिली तो वह सबूतों को नष्ट कर सकते हैं.
26 फरवरी को हुई थी गिरफ्तारी
सीबीआई ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. 7 दिन की CBI रिमांड के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को सिसोदिया को 20 मार्च (14 दिन) की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजा था. यहीं ED शराब नीति में मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ कर रही थी. इससे पहले 7 मार्च को एजेंसी ने तिहाड़ जेल में सिसोदिया से 6 घंटे पूछताछ की थी.