महासमुंद : Mahasamund News : अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा जानकारी मिली है पिछले दो दिनों से महासमुंद मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में भूत की अफवाह फैल रही है, जिसके भ्रम में छात्र हॉस्टल छोड़कर घर जा रहे हैं. छात्रों को किसी भी अफवाह पर न ध्यान देना चाहिए और किसी भ्रम में नही आना चाहिए।
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डॉ दिनेश मिश्र ने कहा इस वैज्ञानिक सदी में भूत प्रेत ग्रस्त होने की बात ही न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि हास्यास्पद भी है। भूत प्रेत जैसी मान्यताओं का कोई अस्तित्व नही होता, यह सिर्फ अंधविश्वास ही है। छत्तीसगढ़ ही नहीं दुनिया भर का चिकित्सा विभाग अपने कार्य के संचालन के लिये वैज्ञानिक तौर तरीकों का उपयोग करता आ रहा है, महाविद्यालय को बनाने और आधुनिकीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च होते है, बीमारियों की जॉंच और उपचार के लिये अनेक वर्षों सेअनेक उन्नत जैसी विधाओं का प्रयोग किया जाता है। वहीँ स्पीकर, ब्लूटूथ, कम्प्यूटर ,मोबाइल, व्हाट्सएप ,जैसे वैज्ञानिक अविष्कारों से त्वरित काम करने में मदद मिलती है जिसका छात्रों को लाभ उठाना चाहिए।
डॉ मिश्र ने कहा अगर किसी की तथाकथित आवाज सुनने ही पर हॉस्टल में भूत होने का प्रचार होता है तो उसकी सही ढंग से जाँच होना चाहिए, बिना स्वर यंत्र की कोई आवाज नहीं होती, स्वरयंत्र प्राकृतिक रूप सभी मनुष्य और पशु में होता है, वहीं कृत्रिम रूप से मशीनो, लाऊडस्पीकर ,माइक, से मोबाइल, से आवाज प्रसारित की जाती है। जिन्हें तुरंत या रेकॉर्ड कर के भी प्रसारित किया जाता है। रात के अंधेरे व सन्नाटे में लोग अनजान आवाजों से भयभीत हो जाते है, जो डर का कारण और बाद में वहीँ डर अफवाह का रूप ले लेता है।
उन्होंने आगे कहा की ऐसी अफवाह अवैज्ञानिक और अंधविश्वास पूर्ण है। इस लिए पूरी जाँच होना चाहिए ताकि छात्रों के मन के डर को दूर किया जा सके। मेडिकल छात्र तो वैसे भी हिम्मती और बहादुर माने जाते हैं जो विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों में जनता की सेवा करते है। उनकी गाड़ियां अनेक बार एम्बुलेंस और आवश्यकता पड़ने पर मरीज ही नहीं बल्कि मृतक एवं उनके परिवार की भी मदद करतीहै। सुदूर अंचल में सुनसान स्थानों पर भी लोग डॉक्टरों की मदद की आस रखते है।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा भूत प्रेत जैसी मान्यताओं का कोई अस्तित्व नही होता, जबकि इस अंधविश्वास के कारण छतीसगढ़ ही नही देश भर में हजारों लोग प्रतिवर्ष झाडफूंक ,मारपीट, शारीरिक मानसिक प्रताड़ना के शिकार होते है। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति अपनी निशुल्क सेवाएं इस सम्बंध में महाविद्यालय प्रशासन को देने तथा हॉस्टल आकर छात्रों से चर्चा कर समझाइश देगी।