आईएएस अनिल टुटेजा और आईएएस डॉ आलोक शुक्ला के वकील आयुष भाटिया ने छत्तीसगढ़ के माननीय उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत का लाभ लेते हुए बताया कि माननीय न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय के मामले में अग्रिम जमानत याचिका को 14.07.2020 को सुरक्षित कर लिया था, जो कि आज प्रोनाउंसमेन्ट ऑफ जजमेंट के लिए लगाया गया था जिसमे प्रवर्तन निर्देशालय की ओर से अधिवक्ता ‘डॉ सौरभ कुमार पांडे’ एंड यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता ऐ. ऐस. जी. ‘बी. गोपा कुमार’ वह दूसरी ओर अनिल टुटेजा और डॉ आलोक शुक्ला के अधिवक्ता अवी सिंह और अधिवक्ता आयुष भाटिया द्वारा दायर याचिका में लंबी सुनवाई के बाद प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार करते हुए आज अग्रिम जमानत दी गयी है।
बता दें कि रायपुर के प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला जनवरी, 2019 को दर्ज किया गया था जो कि एन्टी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा, रायपुर द्वारा वर्ष 2015 में पंजीकृत अपराध से उत्त्पन्न हुआ है जिसमे नागरिक आपूर्ति निगम के 28 ठिकानों पे छापा मार कर करोड़ो रूपये बरामद किए थे, इस मामले में 28 लोगो के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था जिसमे अनिल टुटेजा और डॉ। आलोक शुक्ला का नाम नही था जोकि उनके जगह से कोई रुपये बरामद नही हुए थे। एन चुनाव के पहले करीब ढाई साल बिताने के बाद राज्य सरकार ने पुरक चलान पेश करते हुए दोनों ही अधिकारी के नाम शामिल किए थे।
अनिल टुटेजा और डॉ आलोक शुक्ला के वकील आयुष भाटिया ने यह भी बताया कि अग्रिम जमानत लगाते हुए हमने कोर्ट को बताया था कि अपराध रायपुर के ई.डी आफिस में 09.01.2019 को पंजीकृत किया गया जबकि संमन्स दिल्ली के ई. डी. आफिस से 13.03.2020 को जारी किए, वो भी ऐसे वक्त में जहां करोना वायरस के बढ़ते केसेस की वजह से सेहत को खतरा और वापस लौटने पर राज्य सरकार के 14 दिन मेंडेटरी क्वारंटाइन होना अनिवार्य है। ई. डी. द्वारा जारी संमन्स में दोनों अधिकारी ने पूरा सहयोग देते हुए उपस्थिति दिल्ली जाके दी जिसमे 3 दिन तक पूछताछ चली।
यह भी बता दें कि विधेय अपराध में अनिल टुटेजा को 29.04.2019 को और डॉ। आलोक शुक्ला को 16.08.2019 को प्रत्यक्ष प्रमाण की गैर उपस्थिति पर अग्रिम जमानत प्राप्त है और निचली अदालत पर चल रहा विधेय अपराध की सुनवाई पर हाई कोर्ट से स्टे है।