रायपुर। कोरोना आपदा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देशभर के पत्रकारों से हुई बातचीत में कहा है कि वक्त रहते यदि केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल फ्लाइट पर प्रतिबंध लगाया होता या विदेश दौरे से आ रहे लोगों को उन शहरों में क्वांरटाइन कर दिया जाता, जहां वह उतर रहे हैं, तो स्थिति कुछ और होती। उन्होंने कहा कि यह बीमारी देश की नहीं है, चीन से दुनियाभर में फैली और विदेश से आने वाले लोगों के जरिए देश में इसका संक्रमण फैला। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में जब लाॅकडाउन लागू किया गया, तब केंद्र ने किसी से पूछा नहीं था। अचानक लागू होने से हर तरफ अफरा-तफरी मच गई। लाकडाउन के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ चुकी है। उन्होंने कहा कि 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेसिंग पर चर्चा करेंगे। हमारी नजर उस पर लिए जाने वाले निर्णय पर है। इसके बाद 12 अप्रैल को राज्य कैबिनेट की बैठक बुलाकर लाॅकडाउन समेत मौजूदा हालात से जुड़े मुद्दों पर हम फैसला लेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वक्त रहते लिए गए फैसलों की वजह से अन्य राज्यों की तुलना में हालात बेहतर हैं। राज्य में अब तक महज 11 कोरोना पाॅजिटिव केस ही सामने आए हैं, जिनमें से 9 लोगों का इलाज कर उन्हें घर भेज दिया गया है। केवल दो मरीजों का इलाज एम्स में चल रहा है। बुधवार की देर रात कटघोरा में कोरोना पाॅजिटिव मरीज के सामने आने के बाद उस पूरे क्षेत्र में पूर्ण लाॅकडाउन लागू कर दिया गया है, जिससे संक्रमण का फैलाव ना हो सके। पाॅजिटिव पाया गया व्यक्ति किन-किन लोगों के संपर्क में आया, उनकी भी जांच की जा रही है।
भूपेश बघेल ने जूम क्लाउड मीटिंग के जरिए देशभर के पत्रकारों से हुई बातचीत में निजामुद्दीन मरकज के मसले पर भी चर्चा की। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण किस जाति के लोगों में है, संक्रमित मरीज किस धर्म का है, यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि जब लोग विदेशों से अपने देश लौट रहे थे, तब हमने उचित जांच की व्यवस्था क्यूं नहीं की। आखिर क्यूं नहीं दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरू जैसे बड़े शहर में आने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट से उतर रहे लोगों की जांच कर उन्हें उन जगहों पर ही क्ववारंटाइन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जमात के लोगों को मैं निर्दोष नहीं कहूंगा, लेकिन विदेश दौरे की सूची यदि देख ली गई होती, समय पर परीक्षण कर लिया जाता, तो यह संक्रमण इस तेजी से न फैला होता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है। नुकसान कितना हुआ है, इसका आंकलन फिलहाल नहीं किया जा सका है, हम इसका आंकलन करेंगे। इससे कब तक उबर पाएंगे, आज यह कहना बेहद कठिन है। कुछ दिनों बाद इस पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, मौजूदा हालात यह कह रहे हैं कि इस वक्त जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाई जाए, यह काम हम कर रहे हैं। पीपीई किट की उपलब्धता और टेस्ट किए जाने से जुड़े सवाल पर भूपेश बघेल ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के टेस्ट हो यह हम चाहते हैं। अब तक राज्य में तीन हजार सैम्पलों की जांच हो चुकी है। रैंडम सैम्पल लेकर हम और लोगों का टेस्ट किए जाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भूपेश बघेल ने पत्रकारों से कहा कि छत्तीसगढ़ में कई समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग मिल रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में हम सूखा राशन वितरित कर रहे हैं। दूसरे राज्यों से यहां फंसे लोगों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। बड़े पैमाने पर लोगों की मदद मिल रही है, मध्यवर्गीय लोग भी मदद करना चाहते थे, लिहाजा हमने डोनेशन आन व्हील्स की शुरूआत की। दो दिन में ही 17 हजार फूड पैकेट्स दान में मिला, जिसे मजदूरों, रोज कमाने और खाने वाले तबके के साथ भिखारियों को वितरित किया जा रहा है। कोरोना ने लोगों की जिंदगी रोक रखी है, लिहाजा हमने सबसे पहले गरीबों को राशन मुहैया कराने की रणनीति पर काम किया। राज्य में मनरेगा मजदूरों के भुगतान के लिए 700 करोड़ रूपए की राशि जारी की। दूसरे राज्यों से फंसे मजदूरों को आर्थिक मदद भेजे जाने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को एक-एक करोड़ रूपए की राशि आबंटित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर हमने मांग की है कि जनधन योजना में दी जा रही 500 रूपए की राशि बढ़ाकर 700 रूपए दिया जाए। साथ ही श्रमिकों को भी तीन महीने की राशि एक साथ दी जाए, तो इससे लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में आवश्यक सामानों की आपूर्ति जारी रहे, लिहाजा इससे जुड़े उद्योगों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
सोनिया गांधी की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए सुझावों पर आईएनएस की टिप्पणी से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया। उन्होंने दो टूक कहा कि जब सांसदों की निधि पर निर्णय लिया गया, जिसकी राशि से संसदीय क्षेत्रों का विकास किया जाता, है, उस पर पहले प्रतिक्रिया दे देते तो लगता कि उन्होंने न्याय की बात कही है। बेहतर होता यदि वह आर्थिक स्थिति से निपटने का कोई सुझाव देते।