बॉम्बे हाईकोर्ट(bombay highcourt) ने हाल ही में कहा कि मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 (डीवी एक्ट) के तहत राहत मांग सकती है। जस्टिस जीए सनप ने घरेलू हिंसा मामले में अपनी पत्नी के लिए गुजारा भत्ता बढ़ाने के सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ व्यक्ति के पुनर्विचार आवेदन को खारिज कर दिया।
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पति(husband ) ने उसके आवेदन का विरोध किया और आरोपों से इनकार किया। उसने आरोप लगाया कि वह अपने परिवारों के बीच विवाद के कारण उससे झगड़ा करती थी और जब वह घर से चली गई तो उसने उसे वापस लाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि जब उनके सभी प्रयास विफल हो गए तो उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया, जिसकी बाकायदा रजिस्ट्री(registry) डाक से दी गई। मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता को 7500/- प्रति माह रुपये और उनके बेटे को 2500/- प्रति माह रुपये का भरण-पोषण देने का आदेश दिया। मजिस्ट्रेट ने इसके साथ ही 2000/- प्रति माहरुपये किराया अवार्ड देने के लिए भी कहा। इसके अलावा, मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता को 50,000/- रुपये का मुआवजा दिया।
पति के रिश्तेदारों ने उसे मारने की कोशिश की
शिकायतकर्ता 2006 में अपने पति के साथ सऊदी अरब गई थी। उसके रिश्तेदारों और उसी इमारत में रहने वाले उसके पति के रिश्तेदारों के बीच विवाद था। उसने आरोप लगाया कि इसी विवाद के चलते उसके पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। आख़िरकार 2012 में वह अपने पति और बच्चों के साथ भारत वापस आ गईं और अपने पति के घर पर रहीं। उसने आरोप लगाया कि उस पर अपने रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का दबाव डाला गया और जब उसने इनकार कर दिया तो उसे पीटा गया। उसके पति के रिश्तेदारों ने उसे मारने की कोशिश की। वह अपने छोटे बेटे के साथ अपने माता-पिता के घर गई और अपने पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसका पति वापस सऊदी अरब चला गया। उसने आरोप लगाया कि उसने भरण-पोषण के लिए कोई प्रावधान नहीं किया और भरण-पोषण, साझा घर-गृहस्थी, मुआवजे के लिए आवेदन दायर किया।