शराब घोटाला मामले में ईडी की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बता दे यह रोक तीन याचिकाओं की सुनवाई के बाद लगाई है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने यह कहा है कि, फ़िलहाल शराब घोटाला मामले में ईडी के पास कार्रवाई करने के लिए प्रेडिकेट अफेंस नहीं है, इसलिए ईडी को इस मसले में किसी भी कार्रवाई से रोका जाता है।
आयकर विभाग की ओर से एक परिवाद तीस हज़ारी कोर्ट के सीजेएम अनुराग ठाकुर की कोर्ट में पेश किया गया था।इसमें प्रेडिकेट अफेंस याने वे धाराएँ शामिल थीं जिनके होने से ईडी को कार्रवाई की अधिकारिता मिलती है। इस परिवाद में क़रीब पंद्रह लोगों को अभियुक्त बताया गया था। बीते छ अप्रैल को सीजेएम ने परिवाद के केवल एक हिस्से को स्वीकार किया और कहा
“यह अदालत केवल उस मामले का विचारण कर सकती है, जो उसके न्यायालय क्षेत्र में आता है।परिवाद में रायपुर कलकत्ता का भी ज़िक्र है, याचिकाकर्ता को वहाँ घटित अपराध के लिए वहाँ की अदालत के पास जाना होगा।”
परिवाद के जिस हिस्से को सीजेएम कोर्ट ने स्वीकारा, उसमें यश टुटेजा, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया अभियुक्त बने लेकिन उनके विरुद्ध परिवाद के उस हिस्से में प्रेडिकेट अफेंस की धाराएँ प्रभावी नहीं थी। अनिल टुटेजा सीजेएम अनुराग ठाकुर के आदेश के खिलाफ एडीजे कोर्ट चले गए, और स्टे माँगा। सत्रह अप्रैल को एडीजे धीरज मोर ने आवेदन स्वीकार करते हुए स्टे दे दिया।इस स्टे का अर्थ यह निकाला गया कि, स्थगन मूलतः सीजेएम कोर्ट में पेश परिवाद पर आए निर्णय पर लिया गया है।इस आधार पर ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला मामले में कार्रवाई शुरु कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सभी के तर्कों को सुनने के बाद यह माना कि, इस वक्त ईडी के पास कार्रवाई करने के लिए प्रेडिकेट अफेंस नहीं है। शीर्ष अदालत ने ईडी से कहा है
“आप के पास फिलहाल विधिक अधिकारिता नहीं है। जब आपके पास प्रेडिकेट अफेंस आ जाए तो आप इस अदालत में तुरंत आ सकते है।अभी इस समय आपको कार्रवाई करने से रोका जाता है।”
अब जानिए क्या है पूरा मामला
ईडी ने शराब घोटाला मामले में कार्रवाई करते हुए अनवर ढेबर समेत पाँच को गिरफ़्तार किया है। ईडी की इस कार्रवाई का आधार तीस हज़ारी कोर्ट के सीजेएम अनुराग ठाकुर की कोर्ट में पेश परिवाद था। ईडी की ओर से यह दलील थी कि, यदि कोई परिवाद अदालत में लंबित है और उसमें प्रेडिकेट अफेंस हैं तो उसे कार्रवाई का अधिकार है।
क्या है प्रेडिकेट अफेंस
ईडी बेहद शक्तिशाली जाँच एजेंसी है। लेकिन वह किसी भी मामले का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकती। ईडी को कार्रवाई के लिए किसी एफ़आइआर या कि किसी परिवाद ( भले वह केवल विचाराधीन हो) की जरुरत पड़ती है। यहाँ यह भी जानिए कि ईडी किसी भी एफ़आइआर या परिवाद पर सक्रिय नहीं हो सकती। आईपीसी की कुछ विशेष धाराएँ हैं यदि वे धाराएँ किसी एफ़आइआर या कि परिवाद का हिस्सा होंगी तो ही ईडी कार्रवाई करने के लिए क़ानूनी रूप से सक्षम होती है। इनमें अलग अलग प्रकृति की धाराएँ शामिल हैं।