सक्ती। CG NEWS : 9 अगस्त को सक्ती जिला मुख्यालय में विश्व आदिवासी दिवस पर सर्व आदिवासी समाज ने विशाल रैली निकालकर आदिवासी एकता का परिचय दिया। इसके बाद पंडित दीनदयाल स्टेडियम में विशाल सभा का आयोजन किया गया जिसमें सभी आदिवासी वर्ग के अलग-अलग समाज के लोगों सहित जिले के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। रैली नगरदा से आरंभ होकर गोण्डवाना भवन बूढ़ादेव स्थल कंचनपुर पहुंची। जबकि मुख्य रैली दीनदयाल स्टेडियम से हटरी होते हुए नवधा चौक से अग्रसेन चौक गौरव पथ रोड होते हुए बुधवारी बाजार पंडित दीनदयाल स्टेडियम सभा स्थल पहुंचकर समाप्त हुई।
आयोजन के मुख्य अतिथि सक्ती कलेक्टर नुपूर पन्ना राशि ने अपने संबोधन में बिरसा मुण्डा, वीरनारायण सिंह, भीका मांझी जैसे वीर महापुरूषों का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासियों की वजह से ही आज देश सुरक्षित है। आज हम छोटे-छोटे गुटों में बंट रहे है जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, हमें समाज के लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज मैं आदिवासी वेशभूषा में हूं यह मेरी संस्कृति है मैं इसे कभी नहीं छोडूंगी यह छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा है। उन्होंने कहा कि हम सब अपनी सोच को उपर रखे, दूसरों के सामने आदिवासी कहलाने से कभी नहीं झिझके। हमें गर्व होना चाहिए कि आज एक आदिवासी महिला देश के राष्ट्रपति के पद पर है। मैं स्वयं एक आदिवासी हूं और सक्ती जिले की पहली महिला कलेक्टर हूं।
उन्होंने बताया कि आरआरआर आंध्रा प्रदेश के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जीवनी पर बनी फिल्म है जिसने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में खूब नाम कमाया अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता इस फिल्म ने अब तक 1 हजार 2 सौ छत्तीढ़ करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया है जो केवल एक आदिवासी संस्कृति पर बनी फिल्म के कारण ही संभव हुआ है। सक्ती तहसीलदार मनमोहन सिंह ठाकुरने अपने संबोधन में कहा कि मैं लगभग डेढ़ वर्षों से यहां पदस्थ हूं।मैंने देखा कि सक्ती अंचल आदिवासियों का अंचल है, किंतु आज भी हम पिछड़े हुए है जिसका कारण हमारा भोलापन है। हममें सत्ता से प्रश्न पूछने की काबिलियत होनी चाहिए। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि आप सब संगठन को मजबूत करते रहे मैं आप सभी के साथ हूं।
आयोजन में एच. के. सिंह उइके संरक्षक अनु.जन. अधि. वं.सं. समिति छ.ग. की अध्यक्षता जगेश्वर सिंह कंवर सर्व आदिवासी समाज महिला प्रभाग की जिलाध्यक्ष विद्या सिदार ने मंचीय संबोधन से कहा कि सर्व आदिवासी देश में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। देश समाज को जब भी हमारी जरुरत पड़ी है, हमारे पुर्वज और हमारा समाज हमेशा तैयार रहें आज भी हमें देश और समाज के लिए एकजुट होकर कार्य करना है, जिसमें हमारी पुर्वजों की सीख हमारी संस्कृति एवं परंपरा हमेशा जीवंत रहे।समाज के युवा छात्र-छात्रा आगे बढ़े इसके लिए हमें पहल करनी होगी। हमारा समाज हमेशा अग्रणी रहे इसके लिए हम सदैव तत्पर रहेंगे। कार्यक्रम में समाज के होनहार छात्र छात्राओं का भी सम्मान किया गया। साथ ही सीजीपीएससी में सफलता प्राप्त करने वाले समाज के सफल प्रतियोगियों को भी सम्मानित किया गया। समाज को विशेष रूप से सहयोग करने वालों को भी सम्मानित किया गया है। समाज को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले समस्त बंधुओं का भी आभार व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में संस्कृति को सुरक्षित व संरक्षित बनाये रखने, आदिवासी स्वाभिमान को बनाये रखने, शिक्षा उच्च शिक्षा, अधिकारी बनने के लिए दिशा निर्देश देने, आर्थिक संपन्नता व समाज को रोजगार से जुड़ाव करने, आदिवासियों के धर्म पर चर्चा तथा आरक्षण उत्थान पर विचार विमर्श किया गया। आयोजन को आदिवासी संगठनों के पदाधिकारियों ने संबोधित किया। यहां अपने संबोधन में उन्होंने विश्वभर के आदिवासियों को एक सूत्र में रहने की बात कही। कार्यक्रम में सैकड़ों लोग शामिल थे। जिसे ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी तगड़ी व्यवस्था कर रखी थी। इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज की प्रमुख श्रीमती विद्या सिदार जिलाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज महिला प्रभाग जिला-सक्ती जगेश्वर सिंह कंवर जी जिलाध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज जागेश्वर सिंह राज, सरवन सिदार, नारायण सिदार, भुवन सिंह कंवर, रामसिंह कंवर, फुल साय पैकरा, बुधराम उरांव, लक्ष्मण सिंह उरांव, कन्हैया, धनुवार,समारू राम, खैरवार, कैलाश खेरवार,फिरत राम, रामसाय, रामकुमार, मदन सिंह,रमेश चंद, उदित-नारायण, धनेश्वर सिंह, शिवकुमार कवर, करर्म शिव गढ़ गोड़ी नटवर सिदार उपस्थित रहे।
जशपुर के ढाक नगाड़ा बाजा का जबरजस्त नाच देखने उमड़ी भीड़…
जल, जंगल, जमीन की तरह वाद्ययंत्रों से भी आदिवासी समुदाय का गहरा रिश्ता रहा है। मनोरंजन, उत्सव व सुरक्षा के लिए यह समाज कई तरह के वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल करता रहा है। इस समाज में वाद्ययंत्रों की पूजा भी होती है। लेकिन समय के साथ-साथ आदिवासी समाज में प्रचलित कई वाद्ययंत्र तेजी से लुप्त होते जा रहे हैं। कार्यक्रम में जशपुर के ढाक नगाड़ा बाजा के साथ कलाकार पहुंचे थे जिन्हे देखने जनता उमड़ पड़ी थी।