वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसके लिए गृह निर्माण के समय हमेशा वास्तु नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।
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मकान की लंबाई को 9 बराबर भागों में बांट दें। 5 भाग दाएं और 3 भाग बाएं छोड़कर शेष भाग में मुख्य द्वार बनाना चाहिए।
घर से निकास के लिए दाईं ओर प्रवेश द्वार बनवाएं।
घर में प्रवेश हेतु एक द्वार ही रखें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर 3 दरवाजे शुभ नहीं होते हैं। घर में प्रवेश हेतु उत्तर और पूर्व की दिशा बेहतर होती है। दक्षिण की दिशा में भूलकर भी द्वार न दें। इससे घर में नकारात्मक शक्ति का आगमन होता है।
घर के बाहर उत्तर दिशा में गूलर, पाकड़ आदि वृक्ष न लगाएं। इससे नेत्र संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। साथ ही घर में बेर, केला, पीपल और अनार के पेड़ भी न लगाएं। इससे घर की बरकत गायब हो जाती है।
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बृहस्पति देव का वास होता है। इसके लिए इस दिशा में पूजा घर रखें। मंदिर में देवी-देवताओं का मुख पूर्व की दिशा में रखें।