रायपुर। CG NEWS : वैसे तो रक्षाबंधन के लिए सरकारी अवकाश 30 अगस्त को घोषित था लेकिन सरकारी नुमांइदे दफ्तरों से अभी तक नदारद नजर आ रहे हैं,देखा जाये तो 30 अगस्त को बुधवार होने की वजह से कई सरकारी अफसर और कर्मचारियों ने गुरूवार और शुक्रवार की छुट्टी ले ली है क्योंकि शनिवार और रविवार सरकारी अवकाश होने की वजह से सीधे 5 दिनों की लम्बी छुट्टी का लुत्फ़ उठाया जा सकता है फिर चाहें काम काज हो या ना हो।
वैसे तो अवकाश अच्छे जीवन के लिए आवश्यक है पर सरकारी कार्य शैली के अनुसार जनहित में बिलकुल नहीं है। किसी अधिकारी या कर्मचारी का इस तरह अवकाश लेने से वह सभी फ़ाइलों में कुछ भी नहीं होता जिसमे उसको अपनी टिपड़ी देनी होती है। सरकारी व्यवस्था इतनी ख़राब है की फाइल बिना टिप के कभी नहीं बढ़ती और अवकाश पर गये बीजी अधिकारी के स्थान पर किसी और को यह हक़ भी नहीं होता की वह उसको आगे बढ़ाये।
बेहतर होगा कि कामकाज को सुचारू रूप से करने के लिए शनिवार की छुट्टी का सिलसिला ख़त्म कर दिया जाये क्योंकि इससे कर्मचारी एवं अधिकारी अनायास छुट्टी लेकर अपना सारा काम और घूमना फिरना तो कर लेते हैं लेकिन अपनी जीविका के प्रति उनका स्नेह ख़त्म सा होता जा रहा है और वह ग़ैर ज़िम्मेदाराना हरकत पर उतर आये हैं। कोई कभी भी छुट्टी पर चला जाता है चाहें वह सप्ताह की शुरुआत हो या अंत।
आश्चर्य की बात तो यह है की छुट्टी जाने से पहले अपनी तमाम फ़ाइलों पर रातों दिन काम करके निपटाना तो दूर वह उन फ़ाइलों को आराम से करते हैं और बाक़ी लौट कर करने का आश्वासन दे कर ख़ुशी ख़ुशी चल देते हैं। जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार दूर दूर तक दिखायी नहीं देता है। राज्य शासन द्वारा सप्ताह में 5 दिनों तक नियमित रूप से काम करने का आदेश हैं और कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने और पर्याप्त आराम देने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किये गए थे।
यही नहीं यहां कर्मचारी सुबह भी 11-12 बजे से पहले नहीं आते हैं और 6 बजने से पहले ही भागने लगते हैं। प्रदेश को आगे बढ़ाने और समय से पहले काम को पूर्ण करना इनकी जिम्मेदारी का हिस्सा नहीं है वह उन्होंने भगवान भरोसे ही छोड़ दिया है। शासन प्रशासन को चाहिए की वह पाँच दिन कार्य की इस व्यवस्था को बदल कर और सकारात्मक व्यवस्था को लायें जहां अवकाश कम कार्य ज़्यादा की प्रणाली को समर्थन और आम नागरिक तथा व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके।