देश के लगभग 40 प्रतिशत मौजूदा सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 25 प्रतिशत ने हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। चुनाव अधिकार निकाय एडीआर ने यह जानकारी दी है।
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एडीआर के मुताबिक, भाजपा के 385 सांसदों में से लगभग 98 (25 प्रतिशत), कांग्रेस के 81 सांसदों में से 26 (32 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसदों में से सात (19 प्रतिशत),राजद के 6 सांसदों में से 3 (50 प्रतिशत), माकपा के 8 सांसदों में से 2 (25 प्रतिशत), आप के 11 सांसदों में से 1 (9 प्रतिशत) वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 31 में से 11 (35 प्रतिशत) और राकांपा के 8 में से 2 (25 प्रतिशत) सांसदों ने अपने हलफनामे में गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।ग्यारह मौजूदा सांसदों ने हत्या (भारतीय दंड संहिता धारा-302) से संबंधित मामलों , 32 मौजूदा सांसदों ने हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा-307) के मामलों जबकि 21 मौजूदा सांसदों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है। इन 21 सांसदों में से चार सांसदों ने दुष्कर्म (आईपीसी धारा-376) से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
देखें विश्लेषण
विश्लेषण में कहा गया कि भाजपा के 385 सासंदों में से 139 (36 प्रतिशत), कांग्रेस के 81 सांसदों में से 43 (53 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसदों में से 14(39 प्रतिशत), राजद के छह सांसदों में से पांच (83 प्रतिशत), माकपा के आठ सासंदों में से छह (75 प्रतिशत), आम आदमी पार्टी के 11 सांसदों में से तीन (27 प्रतिशत), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 31 सांसदों में से 13 (42 प्रतिशत) और राकांपा के आठ सांसदों में से तीन (38 प्रतिशत) सांसदों ने हलफनामों में उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है।
स्व-शपथपत्रों में गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी
एडीआर ने कहा कि दोनों सदनों के सदस्यों में, केरल के 29 सांसदों में से 23 (79 प्रतिशत), बिहार के 56 सांसदों में से 41 (73 प्रतिशत), महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 37 (57 प्रतिशत), तेलंगाना के 24 सांसदों में से 13 (54 प्रतिशत) दिल्ली के 10 सांसदों में से पांच (50 प्रतिशत) ने अपने शपथपत्रों में उनके खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।उसने कहा कि बिहार के 56 सांसदों में से लगभग 28 (50 प्रतिशत), तेलंगाना के 24 सांसदों में से नौ (38 प्रतिशत), केरल के 29 सांसदों में से 10 (34 प्रतिशत), महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 22 (34 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश से 108 सांसदों में से 37 (34 प्रतिशत) ने अपने स्व-शपथपत्रों में गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।